खराब खान-पान और खराब लाइफस्टाइल का असर महिलाओं की ओवरी पर भी देखने को मिलता है। ओवरी कैंसर ब्रेस्ट कैंसर के बाद दूसरी ऐसी बीमारी है जिसकी महिलाएं तेजी से शिकार हो रही हैं। ओवरी कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से महिलाओं की ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं। सिस्ट की वजह से महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हो पाती। ओवरी कैंसर का असर ट्यूब्स पर भी पड़ता है, इसकी वजह से ट्यूब्स डैमेज तक हो सकती हैं।

मेडिकल ऑन्कोलॉजी और हेमटो ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल की निदेशक डॉ नीति रायजादा कहती हैं कि महिलाओं में ये बीमारी तेजी से फैल रही है। ओवेरियन कैंसर में फैमिली हिस्ट्री भी बेहद मायने रखती है। अगर आपके परिवार में किसी को ये बीमारी हो चुकी है तो हो सकता है आप भी इसके शिकार हो जाए। इस कैंसर के लक्षणों के आधार पर तुरंत इसकी पहचान करना मुश्किल है।

इस कैंसर के शुरुआती लक्षण साधारण पेट दर्द और पेल्विक दर्द की तरह होते हैं। इस कैंसर की पहचान तीसरे या चौथे स्टेज में ही होती है। अगर आप अपनी बॉडी को लेकर सतर्क हैं तो बॉडी में होने वाले बदलाव पर ध्यान दें और इस बीमारी का पता लगाने के लिए टेस्ट कराएं। आइए जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण कौन-कौन से हैं और उसका उपचार कैसे करें।

  • ओवरी कैंसर के लक्षण:
  • ओवरी कैंसर में कई बार लक्षण सामने नहीं आते।
  • एब्डोमिनल ब्लोटिंग होना जिसकी वजह से पेट फूला रहता है।
  • कम खाने पर भी पेट जल्दी भरना,
  • अपच और मितली की शिकायत होना।
  • एब्डोमिन में फ्लूड होना
  • तेजी से वजन का घटना।
  • पेल्विस में परेशानी होना
  • पीठ दर्द
  • पेशाब बार-बार आना
  • अनियमित मासिक धर्म,

खाने में कठिनाई और मूत्र संबंधी समस्याएं होना ओवरी कैंसर के बाद के चरणों के कुछ लक्षण हैं जिस समय ये कैंसर पेट में फैल जाता है। कई बार लोग थोड़ा सा खाना खाकर कहते हैं कि उनका पेट भर गया है, हालांकि ऐसा बदलते मौसम और कम भूख लगने की वजह हो सकता है, लेकिन यह ओवेरियन कैंसर का लक्षण भी हो सकता है।

अगर थोड़ा-बहुत खाने पर ही आपको ऐसा लगे कि आप अब और नहीं खा सकते और पेट भर गया है तो टेस्ट कराएं। पहला ब्लड टेस्ट के द्वारा और दूसरा ओवरी का अल्ट्रासाउंड करके इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इस कैंसर से कीमोथेरेपी या फिर ओवरी की सर्जरी करके निजात पाई जा सकती है। ओवरी के कैंसर के खतरे को कैसे कम करें जानें।

डाइट और एक्सरसाइज पर ध्यान दें: इस कैंसर से बचाव करना चाहते हैं तो डाइट में फल और सब्जियों को शामिल करें। रोजाना 30-40 मिनट वर्कआउट करने से इस जोखिम को 20 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

गर्भनिरोधक गोली: महिलाओं में गर्भ निरोधकों के सेवन से ओवरी के कैंसर के जोखिम को 50 प्रतिशत तक कम करने का दावा किया गया है, लेकिन इसके लिए पहले चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती है।

गर्भावस्था और स्तनपान: जिन महिलाओं ने कम से कम एक बच्चे को जन्म दिया है, विशेष रूप से 30 वर्ष की आयु से पहले, उनमें ओवरी के कैंसर और यहां तक ​​कि स्तन कैंसर का जोखिम कम होता है। ब्रेस्ट फीडिंग कराने से भी इस जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।

हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं: हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। तंबाकू उत्पादों का उपयोग कम करके कैंसर के जोखिम से बचा जा सकता है।