मिर्गी न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है जिसका प्रमुख कारण मस्तिष्क में नर्वस सेल्स की गतिविधिया बाधित होना है। इन गतिविधियों की वजह से ही मिर्गी का दौरा पड़ता है। इसकी वजह से मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है। कई मामलों में ये बीमारी जेनेटिक भी होती है। इस बीमारी के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे सिर में चोट लगना, बुखार, ब्रेन ट्यूमर, इन्फेक्शन आदि की वजह से ब्रेन को नुकसान पहुंचने की वजह से ये बीमारी हो सकती है।
मिर्गी के लक्षणों की बात करें तो दौरा पड़ने के दौरान मरीज का शरीर लड़खड़ाने लगता है और बॉडी के कई अंगों पर उसका असर दिखने लगता है। चेहरे से लेकर हाथ-पैरों तक पर इस परेशानी के लक्षण दिखने लगते हैं। मरीज को बेहोशी आती है, मरीज गिर जाता है और हाथ-पैरों में झटके आने लगते हैं।
मिर्गी के दौरे का अगर इलाज नहीं किया जाए तो ये परेशानी बार-बार होती है। इस परेशानी की वजह से इंसान की मौत भी हो सकती है। मिर्गी के दौरे के दौरान अगर मरीज की ठीक प्राथमिक सहायता नहीं कि जाए तो मरीज की तकलीफ बढ़ सकती है। कुछ लोग मिर्गी के दौरे के दौरान मरीज के मुंह में समान ठूसते हैं तो कुछ लोग चप्पल सुंघाते हैं। ये असमान्य हरकतें मरीज की बीमारी का इलाज नहीं है।
एम्स ऋृषिकेश में न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर गोविंग माधव के मुताबिक मिर्गी का दौरा 4-5 मिनट में खुद ही ठीक हो जाता है। अगर दौरे के दौरान मरीज के साथ कुछ गलतियां की जाए तो उसकी बीमारी बढ़ सकती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि दौरा पड़ने पर मरीज के साथ कैसा बरताव नहीं करना चाहिए।
मरीज के हाथ-पैर को पकड़े नहीं:
अगर किसी को मिर्गी का दौरा आ रहा है तो वो दौरा बेहद पावरफुल होता है। ऐसे में आप मरीज को कितना भी पकड़े आप उस दौरे को कंट्रोल नहीं कर सकते। अगर आप इस फॉर्स के साथ और ज्यादा पावर डालेंगे तो मरीज को चोट लग सकती है। उसके फ्रेक्चर या और भी कई तरह की परेशानियां हो सकती है। इसलिए दौरा पड़ने पर मरीज पर दबाव नहीं डालें। अगर आप मरीज की मदद करना चाहते हैं तो उसे किसी सीधी जगह पर लेटा दें।
दौरा पड़ने के दौरान जूता चप्पल नहीं सुंघाएं:
मिर्गी का दौरा पड़ने पर अक्सर आस-पास के लोग मरीज को जूता चप्पल सुंघाने लगते हैं जो पूरी तरह गलत है। इस दौरान मरीज के मुंह से झाग निकलते हैं तो आप ऐसे में मरीज के मुंह में चम्मच दांतों के बीच में रख सकते हैं ताकि झाग बाहर आ जाए और जुबान टेड़ी नहीं हो। मरीज को जूता चप्पल सुंघाने से मरीज को कोई फायदा नहीं होता बल्कि नुकसान ही होता है।
दौरा पड़ने पर दवाई नहीं खिलाएं:
कुछ मरीज दौरे की दवाई हमेशा जेब में रखते हैं ऐसे में आस-पास के लोग मरीज को दवाई खिलाने की कोशिश करते हैं जो बेहद गलत हरकत है। ऐसा करने से मरीज की सांस रुक सकती है। दौरा पड़ने के दौरान मरीज बेहोशी की हालत में होता है। इस दौरान मरीज कुछ निगल नहीं पाता और वो चीज सांस की नली में जाकर फंस जाती है जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है।