चावल एक ऐसा अनाज है जिसका सेवन हम सभी दिनभर के खाने में कम से कम एक बार जरूर करते हैं। चावल हमारी थाली का अहम हिस्सा है जो संतुलित आहार माना जाता है। चावल के पोषक तत्वों की बात करें, तो इनमें कैलोरी के साथ-साथ मैंगनीज, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सेलेनियम, आयरन, फोलिक एसिड, थायमिन और नियासिन मौजूद होता हैं। चावल में फैट और फाइबर सीमित मात्रा में पाया जाता है। चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है जो सभी पोषक तत्वों में सबसे ऊपर है। चावल का सेवन करने से पाचन दुरुस्त रहता है, इसे खाने के एक घंटे के अंदर ये पच जाता हैं। कुछ बीमारियों जैसे डायबिटीज के मरीजों के लिए चावल का सेवन खतरनाक हो सकता है। इसे खाने से तेजी से ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है।

अक्सर डॉक्टर डायबिटीज के मरीजों को सलाह देते हैं कि वो चावल का सेवन सफेद नहीं बल्कि ब्राउन राइस का करें। सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। फाइबर खाने को धीरे-धीरे पचाने में मदद करता है और भूख को भी कंट्रोल करता है। लेकिन आप जानते हैं कि अगर इस ब्राउन राइस का सेवन ठीक तरीके से नहीं किया जाए तो ये बॉडी पर ज़हर की तरह असर करता है।

आयुर्वेदिक और युनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर सलीम जैदी ने बताया कि ब्राउन राइस बॉडी पर टॉक्सिन की तरह असर करता है। हालांकि ब्राउन राइस को सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। सफेद चावल की तुलना में ये सेहत को ज्यादा फायदा पहुंचाते हैं, खासकर डायबिटीज के मरीजों को। एक्सपर्ट ने बताया कि ब्राउन राइस हेल्दी होता है लेकिन इसका सेवन गलत तरीके से किया जाए तो ये बॉडी पर ज़हर की तरह असर करता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि ब्राउन राइस का सेवन कैसे बॉडी पर ज़हर की तरह करता है असर।

ब्राउन राइस कैसे बॉडी पर ज़हर की तरह करता है असर

जितने भी तरह के चावल होते हैं उनमें ARSENIC पाया जाता है जो बहुत ही टॉक्सिक सब्सटेंस होता है। ये टॉक्सिन हमारी बॉडी में जाकर कैंसर पैदा करने का काम करता है। अब सवाल ये उठता है कि चावल में ARSENIC कहां से आता है। आपको बता दें कि चावल की खेती करने के लिए उसमें कई तरह के उर्वर और दवाईयों का इस्तेमाल होता है। इन सभी उर्वरक और दवाईयों में आरसेनिक काफी ज्यादा होता है।

चावल की ये खासियत होती है कि ये ARSENIC को मिट्टी से ज्यादा अवशोषित करता है जिससे चावल में ये ज़हर बढ़ जाता है। अगर चावल को थोड़ा थोड़ा ही खाया जाए तो बॉडी में ये ज़हर धीरे-धीरे जमा होने लगता है और बढ़ता जाता है। ब्राउन राइस में ये ज़हर सफेद राइस की तुलना में ज्यादा होता है। सफेद राइस प्रोसेस होता है,प्रोसेसिंग के दौरान सफेद चावल से ARSENIC की मात्रा कम हो जाती है। रोजाना ब्राउन राइस का सेवन बॉडी में ज़हर की तरह जमा होने लगता है।

ब्राउन राइस का सेवन सुरक्षित तरीके से कैसे करें

चावल में मौजूद ARSENIC ज़हर को आप कम करना चाहते हैं तो चावल को कुछ समय के लिए साफ पानी में भिगो दें। याद रखें कि चावल कम से कम आधा घंटे तक जरूर भिगोएं। चावल को पकाने से पहले कम से कम 6-7 बार साफ पानी से वॉश कर लें। साफ पानी से चावल को धोने से चावल में मौजूद टॉक्सिन पानी के साथ फल्श आउट हो जाता हैं।