Covid Vaccine Death: साल 2020 में आई कोरोना महामारी के दौरान ना जानें कितने लोगों ने अपनो को खो दिया। उस समय लगा था कि शायद यही दुनिया का अंत है। कोविड-19 के इलाज को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों की खोज जारी थी। हालांकि, भारत में सबसे पहली वैक्सीन को इजात किया गया। महामारी के बाद सरकार ने लोगों की जान बचाने के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन अभियान भी चलाया। शुरुआत में देश के हर नागरिक को वैक्सीन की 2 डोज लेने की सलाह दी गई। वहीं, आंकड़ों की मानें तो 2 अरब लोगों का टीकाकरण सफल भी रहा। हालांकि, फिर समय के साथ वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, कोविड के बाद से देशभर में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इनमें भी युवाओं की संख्या अधिक है। ऐसे में कहा गया कि वैक्सीन की डोज देने के बाद युवावस्था में लोगों के दिल अधिक कमजोर पड़ रहे हैं, जिसके चलते हार्ट अटैक और फिर मौत के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। इन तमाम कयासों के बीच, अब आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने एक स्टडी के जरिए जवाब दिया है।

क्या कहती है स्टडी?

अपनी स्टडी के जरिए आईसीएमआर ने इन तमाम आरोपों को जड़ से खारिज किया है। साथ ही बताया है कि कोविड वैक्सीनेशन का युवाओं की मौत से कोई लेना देना नहीं है। इससे अलग स्टडी के मुताबिक, जिन वजहों से मौत हुई हैं या जिन कारणों के चलते हार्ट अटैक के मामले बढ़े, उनमें कोविड-19 से पहले अस्पताल में भर्ती होना, परिवार में अचानक मौते होने के पुराने केस, मौत से कुछ समय पहले अत्यधिक शराब पीना, ड्रग्स लेना या फिर मौत से 48 घंटे पहले जबरदस्त एक्सरसाइज करना जैसे कुछ व्यवहार शामिल थे। इसके अलावा इसके पीछे लाइफस्टाइल में अचानक हुआ बदलाव भी एक कारण हो सकता है।

बता दें कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की इस स्टडी को 1 अक्टूबर 2021 से लेकर 31 मार्च 2023 तक किया गया। वहीं, इस शोध में देशभर से 18 से 45 साल की उम्र के उन लोगों को शामिल किया गया, जो स्पष्ट रूप से स्वस्थ थे। इन लोगों में से कोई भी किसी पुरानी बीमारी से नहीं जूझ रहा था। नतीजे अधिक स्पष्ट हों, इसके लिए 47 अस्पतालों को भी स्टडी का हिस्सा बनाया गया। इस दौरान देखा गया कि जिन लोगों ने वैक्सीन की कम से कम एक डोज भी ली है, उनपर कोरोनावायरस से होने वाली मौत का खतरा बेहद कम रहा है।