डायबिटीज दो तरह की होती है एक टाइप-1 डायबिटीज तो दूसरी टाइप-2 डायबिटीज। देश और दुनिया में टाइप-2 डायबिटीज मरीजों की संख्या ज्यादा है। टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन के प्रति सही ढंग से प्रतिक्रिया नहीं करता या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता जिससे ब्लड में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है। लम्बे समय तक ब्लड शुगर को नॉर्मल नहीं किया जाए तो कई गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। ब्लड शुगर को नॉर्मल रखने के लिए बॉडी को एक्टिव रखना बेहद जरूरी है। बॉडी एक्टिव रखने से मतलब एक्सरसाइज से हैं।

एक्सरसाइज करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है और मांसपेशियां बिना इंसुलिन के ब्लड से अधिक ग्लूकोज सोखने में मदद करती हैं। डायबिटीज मरीज शुगर कंट्रोल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा वॉक करने पर जोर देते हैं। लेकिन आप जानते हैं कुछ मरीज ऐसे भी हैं जो रेगुलर वॉक करते हैं फिर भी उनका ब्लड शुगर नॉर्मल नहीं रहता।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली में एंडोक्राइनोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. वांगनू ने बताया उनके पास आने वाले कुछ मरीजों की ब्लड शुगर वॉक करने के बावजूद हाई रहती है। वॉक करने से उनकी इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार नहीं होता। एक्सपर्ट ने बताया उनके कुछ मरीज 45 मिनट तक वॉक करते हैं लेकिन फिर भी उनके शुगर में सिर्फ मामूली बदलाव दिखता है, HbA1c में भी बेहद कम उतार-चढ़ाव आता है। एक्सपर्ट ने बताया उन्होंने अपने मरीजों को ब्लड शुगर नॉर्मल करने के लिए चार खास वर्कआउट करने की सलाह दी है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे खास वर्कआउट हैं जो ब्लड शुगर के स्तर को नॉर्मल कर सकते हैं।  

डायबिटीज कंट्रोल करने में एक्सरसाइज कैसे करती है मदद?

वॉक करना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। वॉक करने से दिल की सेहत में सुधार होता है और कैलोरी तेजी से बर्न होती हैं, लेकिन आप जानते हैं कि वॉक फैट को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करती है और लेकिन मांसपेशियों की वृद्धि पर ज्यादा असर नहीं डालती। एक्सपर्ट ने बताया स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज सीधा मांसपेशियों को टारगेट करती हैं और उन्हें उत्तेजित करती हैं। इससे वर्कआउट के दौरान ही नहीं बल्कि रिकवरी के समय भी ग्लूकोज बर्न होता रहता है, क्योंकि शरीर मांसपेशियों की मरम्मत और मजबूती पर काम करता है। डायबिटीज मरीज अगर कुछ खास वर्कआउट करते हैं तो इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है,  मांसपेशियों को ब्लड से ग्लूकोज सोखने में मदद मिलती है और ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है।

डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग क्यों है ज़रूरी?

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग यानी रेजिस्टेंस एक्सरसाइज जैसे स्क्वाट्स, पुश-अप्स, रेजिस्टेंस बैंड और वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज बेहद असरदार साबित होती हैं। ये एक्सरसाइज मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल करती हैं। इन्हें करने के बाद भी मांसपेशियां ग्लूकोज़ का इस्तेमाल करती रहती हैं। इन वर्कआउट को करने से विसरल फैट यानी बॉडी के आंतरिक अंगों के आस-पास जमा खतरनाक चर्बी भी कंट्रोल रहती है। इन्हें करने से हार्मोन बैलेंस रहते हैं और इंफ्लेमेशन में सुधार होता है।

एक्सपर्ट ने बताया उन्होंने जिन मरीजों को स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने की सलाह दी उनको 3 महीने बाद ब्लड शुगर नॉर्मल हो गया था और एनर्जी के स्तर में भी सुधार था। रोज इन एक्सरसाइज को दोहराने वाले मरीजों का  6 महीने बाद HbA1c 7.9% से घटकर 6.3% हो गया था। इतना ही नहीं इन मरीजों की कमर की चर्बी कम हुई और उनके शरीर की संरचना में भी सुधार हुआ।

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