पिछले कुछ सालों में किडनी डिजीज से जुड़ी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। यह देखा गया है कि देश की कुल आबादी का 16% से अधिक किसी न किसी रूप में किडनी डिजीज से पीड़ित है। इस अचानक वृद्धि ने न केवल किसी व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित किया है बल्कि हृदय संबंधी समस्याओं और यहां तक कि कैंसर के खतरे को भी बढ़ा दिया है। लैंसेट के अनुसार, क्रोनिक किडनी डिजीज कैंसर का संभावित कारण और परिणाम दोनों प्रतीत होते हैं। कुछ मामलों में, किडनी के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है जिसके घातक परिणाम भी हो सकते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के तरीके-

किडनी शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं जो शरीर से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। इसके साथ ही किडनी हमारे खून से अतिरिक्त पानी को बाहर करने के लिए भी सहायक है। मणिपाल हॉस्पिटल खराड़ी के कंसलटेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. तुषार पाटिल के मुताबिक किडनी के कैंसर को पुरुषों और महिलाओं दोनों में होने वाले 10 सबसे आम कैंसर में से एक माना जाता है।

इसे आमतौर पर किडनी कैंसर के रूप में जाना जाता है, इस खतरनाक बीमारी में किडनी की कोशिकाएं कैंसर में बदल जाती हैं और नियंत्रण से बाहर होने के बाद ट्यूमर बन जाता है। यह पहले किडनी में छोटी नलियों की परत के रूप में होता है और बाद में पूरे अंग में फैल जाता है। जो बात इस बीमारी को और भी खतरनाक बनाती है, वह यह है कि शुरुआती चरणों में लक्षणों की आसानी से पहचान नहीं हो पाती है।

डॉ. तुषार पाटिल के अनुसार, किडनी के कैंसर के कई कारण हैं, यह भी देखा गया है कि किडनी डिजीज की उन्नत अवस्था वाले लोग, विशेष रूप से जिन्हें डायलिसिस की आवश्यकता होती है, उन्हें इस जानलेवा स्थिति का खतरा अधिक होता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि लंबे समय तक डायलिसिस कराने वाले लोगों में किडनी कैंसर का खतरा 5 गुना बढ़ जाता है। हालांकि कैंसर ट्यूमर का पता लगने से पहले ही बहुत बड़ा हो सकता है, फिर भी उन्हें अन्य अंगों में फैलने से रोकने की संभावना होती है।

किडनी कैंसर के लक्षण को ऐसे पहचानें

डॉ. तुषार ने बताया कि ज्यादातर मामलों में, किडनी का कैंसर अपने प्रारंभिक चरण में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाता है और रोग के बढ़ने पर शरीर के अंदर कई लक्षण विकसित हो सकते हैं। इनमें से कुछ में शामिल हैं: जैसे कि बार-बार होने वाला बुखार, पेशाब में खून, पीठ दर्द बना रहना, भूख में कमी, बिना किसी कारण के वजन घटना और थकान आदि लगना।

उपचार से संबंधित कुछ जरूरी जानकारी

डॉ. तुषार के मुताबिक किडनी के कैंसर के खतरे से बचने के लिए कोई निश्चित समाधान नहीं है लेकिन संभावित लक्षणों पर नजर रखने से जोखिम निश्चित रूप से कम हो सकता है। इसमे शामिल है:

नियमित जांच: जिन लोगों में किडनी डिजीज का इतिहास रहा है या वे मोटापे और उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) से पीड़ित हैं, उनमें किडनी के कैंसर का खतरा अधिक होता है। इसलिए, प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पता लगाने के लिए नियमित जांच की आदत डालने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, जिन लोगों के पारिवारिक इतिहास में कैंसर या किडनी डिजीज रहा है, उन्हें भी अपनी स्थिति पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए दवाएं लेने की भी सलाह दी जाती है।

धूम्रपान छोड़ें: तंबाकू के धुएं मे कैंसर पैदा करने वाले कई रसायन होते हैं जिन्हें हमारे फेफड़े अवशोषित करते हैं तथा ब्लड सर्कुलेशन के दौरान ट्रांसफर कर देते हैं। चूंकि किडनी खून की सफाई करता है, इसलिए ये रसायन किडनी की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और किडनी के कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। इसलिए, नशे की लत लगने से पहले शुरुआती चरण में धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी जाती है।

स्वस्थ वजन बनाए रखें: शरीर का बढ़ा हुआ वजन से हार्मोन में परिवर्तन हो सकता है जो कैंसर को ट्रिगर करने के जोखिम को बढ़ाता है। यदि शरीर में फैट की मात्रा अधिक है तो यह इंसुलिन और कुछ हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है जो किडनी के कैंसर के खतरे को दोगुना कर सकता है।

इसलिए, बहुत सारी शारीरिक गतिविधियों के साथ स्वस्थ वजन को कंट्रोल करना चाहिए। यदि कोई पहले से ही अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है, तो उन्हें दैनिक आधार पर कैलोरी की मात्रा कम करनी चाहिए और अपनी दिनचर्या के हिस्से के रूप में किसी प्रकार के शारीरिक व्यायाम को शामिल करना चाहिए।