डायबिटीज मेलेटस, जिसे आमतौर पर डायबिटीज के रूप में जाना जाता है। ये एक मेटाबॉलिक रोग है जो ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने का कारण बनता है। ग्लूकोज हमारी बॉडी के लिए बेहद उपयोगी है। यह मांसपेशियों और ऊतकों के लिए एनर्जी का बेस्ट स्रोत है। डायबिटीज की बीमारी तब होती है जब हमारे शरीर में पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है या फिर कम कर देता है। जब व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (Insulin) नहीं बनता तो शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। बॉडी में इंसुलिन की कमी के कारण ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कई प्रॉब्लम्स होने लग जाती हैं।
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो रातों रात नहीं पनपती। इस बीमारी के पनपने के लिए आपका लाइफस्टाइल और खराब खान-पान जिम्मेदार है। क्रॉनिक डायबिटीज में टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज शामिल है। जबकि रिवर्सल डायबिटीज में प्रीडायबिटीज और जस्टेशनल डायबिटीज शामिल है।
प्रीडायबिटीज तब होती है जब आपके ब्लड में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना अधिक नहीं होता कि इसे डायबिटीज के रूप में वर्गीकृत किया जा सके। प्रीडायबिटीज को जल्दी कंट्रोल नहीं किया जाए तो मरीज डायबिटीज का शिकार हो जाता है। डायबिटीज तमाम उम्र साथ रहने वाली बीमारी है।
जबकि जस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान होती है लेकिन बच्चे के जन्म के बाद ये ठीक भी हो जाती है। डायबिटीज जैसी क्रॉनिक बीमारी के शुरुआत में ही लक्षण दिखने लगते हैं बस उन्हें पहचानने की जरूरत है। आइए जानते हैं कि डायबिटीज के शुरुआती 10 लक्षण कौन-कौन से हैं जिसे अक्सर लोग इग्नोर करते हैं।
- ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से अत्यधिक भूख लगती है।
- प्यास बहुत ज्यादा लगती है।
- जल्दी-जल्दी पेशाब आता है
- बिना किसी कारण तेजी से वजन कम होने लगता है।
- आंखों से धुंधला दिखाई देता है।
- घाव को भरने में लम्बा समय लगता है।
- बिना कुछ काम के थकान महसूस होती है।मिजाज़ में चिड़चिड़ापन रहता है।
- बॉडी में जल्दी जल्दी संक्रमण का खतरा रहता है।
- यूरिन में कीटोन्स की मौजूदगी होना। कीटोन मांसपेशियों और वसा के टूटने का एक बाइप्राडक्ट है जो तब होता है जब पर्याप्त इंसुलिन उपलब्ध नहीं होता।
डायबिटीज के इन शुरुआती लक्षणों को अगर समय पर पहचान लिया जाए तो क्रॉनिक डायबिटीज से बचा सकता है। डायबिटीज को कंट्रोल में नहीं रखने पर उसका असर दिल, किडनी और बॉडी के कई जरूरी अंगों पर भी देखने को मिलता है।