Cardiac Arrest and Heart Attack: हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट ने इस साल दहशत मचा रखी है। इस बीमारी को लेकर लोगों में खौफ है क्योंकि कई सेलिब्रिटियों से लेकर आम लोगों की चलते-चलते या जिम में वर्क आउट करते हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो गई है। अक्सर लोग हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में अंतर समझ नहीं पाते हैं। दरअसल, कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों अलग-अलग स्थितियां हैं। कार्डिएक अरेस्ट एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का हार्ट पूरी तरह बंद (heart stops beating)हो जाता है जो मौत के समान है। अगर तुरंत मेडिकल हस्तक्षेप नहीं किया गया तो मरीज की मौत निश्चित है।

cardiac arrest: कार्डिएक अरेस्ट एक ऐसी स्थिति है, जहां दिल धड़कना बंद कर देता है। कई ऐसे कारण हैं जिनसे दिल धड़कना बंद हो जाता है। इनमें से एक कारण हार्ट अटैक भी है। कार्डिएक अरेस्ट का दूसरा कारण है दिल की धड़कन का अनियमित होना। इसे इलेक्ट्रिकल डिसफंक्शन कहते हैं यानी हार्ट में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ियां (Electrical Dysfunction)पैदा हो जाती है।

इसमें या तो हार्ट के मसल्स (Heart Muscle)में संकुचन होता है या इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस (Electrolyte Balance)खराब हो जाता है। कार्डिएक अरेस्ट होने पर हार्ट शरीर के जरूरी अंगों को खून पहुंचाना बंद कर देता है जिससे ब्रेन, किडनी, लिवर, आंत में खून नहीं पहुंचता है। कार्डियक अरेस्ट से हृदय शरीर के महत्वपूर्ण अंगों जैसे मस्तिष्क, स्वयं हृदय, किडनी, लीवर और आंत में रक्त पंप करने में नाकामयाब हो जाता है, जिससे तुरंत इलाज न होने पर व्यक्ति की मृत्यु मिनटों में हो जाती है।

कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण: (Symptoms of cardiac arrest)

कार्डिएक अरेस्ट (Symptoms of Cardiac Arrest)में सामान्य तौर पर पहले से कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। जो दिखते हैं वे इतने मामूली होते हैं कि सामान्य व्यक्ति इसका पता नहीं लगा सकता लेकिन अगर व्यक्ति चौकन्ना रहे तो इसके संकेत समझ सकता हैं। कार्डिएक अरेस्ट से पहले दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। मेडिकल भाषा में इसे पेलपिटेशन (Palpitations)कहते हैं। इसमें बहुत तेज चक्कर आता है और अचानक से बेहोशी हो जाती है।

अगर इस स्थिति में कार्डिएक अरेस्ट होता है तो व्यक्ति की मौत हो सकती है। अगर इस स्थिति में किसी व्यक्ति को कार्डिएक अरेस्ट हो जाए तो घर पर लाइफ साइंस प्रशिक्षित (Life Sciences Training) व्यक्ति तत्काल उसको पीसीआर दे सकते हैं। इसमें छाती को दबाना होता है और मुंह से सांस दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टर उसका आगे का इलाज करते हैं।

हार्ट अटैक और इसके लक्षण (Symptoms of Heart Attack)

हार्ट अटैक (heart attack)में खून की सप्लाई हार्ट के मसल्स में कम होने लगती है। इससे हार्ट के कुछ हिस्से या अधिकांश हिस्से में खून नहीं पहुंचता है। हार्ट अटैक की स्थिति तब आती है जब हार्ट को खून पहुंचाने वाली एक या ज्यादा आर्टरी (blockage in one or more arteries)में ब्लॉकेज होने लगता है। हार्ट अटैक कार्डिएक अरेस्ट का कारण बन सकता है लेकिन यह जरूरी नहीं।

जोखिम वाले हार्ट अटैक के मरीजों में छाती में दर्द (Chest Pain)करता रहता है। यह दर्द तुरंत बंद नहीं होता और ज्यादा देर तक होता रहता है। इसके अलावा जबड़ा (pain in the jaw),गर्दन में भी दर्द करने लगता है। वहीं सांस लेने में दिक्कत (Breathing Difficulty)और दिल की धड़कन में तेजी आने लगती है। इसके साथ ही बहुत ज्यादा घबराहट और अनहोनी की भावना मन में होने लगती है। बहुत से हार्ट अटैक में ये लक्षण दिखते ही नहीं है। समय के साथ यह ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।

हार्ट अटैक के लिए मुख्य रूप से कोरोनरी आर्टरी डिजीज जिम्मेदार है। इससे हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure),डायबिटीज (Diabetes),हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)आदि का जोखिम बढ़ जाते है। कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक दो अलग-अलग क्लिनिकल परिदृश्य हैं लेकिन एक आम आदमी के लिए भ्रमित और अस्पष्ट हैं।