हाल के दिनों में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं। ऐसे तमाम वीडियो सामने आ रहे हैं, जिनमें अचानक हंसते-खेलते शख़्स की हार्ट अटैक से मौत हो जा रही है। सोशल मीडिया पर तमाम लोग स्वास्थ्य मंत्रालय से ऐसे मामलों की जांच कराने की मांग कर रहे हैं। कुछ लोग इसको कोरोना और कोविड वैक्सीन से जोड़ रहे हैं। लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता Jansatta.com से बातचीत में कहते हैं, तमाम लोग यही समझते हैं कि कोविड सिर्फ आपके फेफड़ों पर असर डालता है, जबकि कोरोना में न्यूमोनिया के बाद ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इससे हार्ट को पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा पंप करना पड़ता है। हार्ट की पंपिंग कैपिसिटी भी कम हो जाती है। इससे हार्ट अटैक का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
दूसरी बात- कोरोना वायरस, हार्ट की मसल्स को भी प्रभावित करता है। इंफेक्शन के बाद सूजन आ जाती है। इस वजह से मसल्स वीक हो जाती हैं और पंपिंग कैपिसिटी घट जाती है। तीसरा, कोरोना की वजह से हार्ट रेट भी बढ़ जाता है। इससे भी अटैक का चांस रहता है।
हार्ट अटैक के लिए ये कारण भी जिम्मेदार
डॉ. गुप्ता कहते हैं, कोरोना बाद इस तरह की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। ऐसे में कहीं न कहीं हार्ट अटैक की घटनाओं का कोविड से लिंक है। इसके अलावा डायबिटीज, हाइपरटेंशन, मोटापा, धूम्रपान, अनियंत्रित लाइफस्टाइल जेनेटिक कारण तो हार्ट से संबंधित बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं ही।
‘दवाओं का भी हो सकता है असर‘
वहीं, दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल (RML) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार Jansatta.com से कहते हैं, हाल के दिनों में हार्ट अटैक के केसेज बढ़े हैं, लेकिन इसके लिए सिर्फ कोविड को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। बल्कि कई फैक्टर हैं। कोविड के अलावा लोगों के साथ और कई चीजें हुई हैं। लाइफस्टाइल खराब हुई है, ऐसी दवाएं मिली हैं जो ब्लड क्लॉट बना सकती हैं, कोरोना काल में तनाव भी हुआ है। ऐसे में ये कहना कि इसके लिए सिर्फ कोरोना जिम्मेदार है, ये तो बहुत मुश्किल काम है।
डॉ. तरुण कहते हैं कि देश में बड़े पैमाने पर कोविड की वैक्सीन दी गई है। सरकार निश्चित तौर पर उसको मॉनीटर कर रही होगी, उनके पास पहले से डाटा है। अगर ऐसा कुछ होता है, कोई अलार्मिंग बात होती तो वैक्सीन बंद कर दी जाती है।