डायबिटीज एक तरह का मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित रूप से घटता-बढ़ता रहता है। जब बॉडी में पैन्क्रियाज इंसुलिन का उत्पादन कम या फिर बंद कर दे, तो लोग डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं। मधुमेह के रोगियों को हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, मल्टीपल ऑर्गन फेलियर और ब्रेन स्ट्रोक की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान के प्रति अधिक सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।
दवाइयों के साथ-साथ कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां हैं, जिनके जरिए खून में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।
गिलोय: गिलोय में ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड मौजूद होता है, साथ ही इसमें आयरन, फास्फोरस, जिंक, कैल्शियम समेत एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-कैंसर गुण भी पाए जाते हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों गिलोय के जूस और काढ़े का सेवन कर सकते हैं। नियमित तौर पर गिलाय का सेवन करने से ना सिर्फ ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है बल्कि कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में भी यह फायदेमंद है।
नीम: नीम एक तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल हजारों वर्षों से कई तरह की बीमारियों की दवाइयां बनाने में होता रहा है। नीम में ग्लाइकोसाइड्स और ट्राइटरपेनॉइड जैसे तत्व मौजूद होते हैं, जो खून में ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करते हैं। आप नीम की पत्तियों का चूर्ण के रूप में या फिर इसकी चाय बनाकर सेवन कर सकते हैं।
जिनसेंग: यह एक तरह का पौधा है, जो बॉडी में इंसुलिन के सेक्रेशन को दुरुस्त करता है। डायबिटीज के मरीज दिन में 3 ग्राम जिनसेंग का सेवन कर सकते हैं।
दालचीनी: दालचीनी का इस्तेमाल यूं तो मसाले के रूप में किया जाता है। लेकिन साथ ही यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी कारगर है। दालचीनी इंसुलिन एक्टिविटी को ट्रिगर कर, उसे बेहतर बनाने का काम करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स डायबिटीज के मरीजों को दिन में 250 mg दालचीनी का सेवन करने की सलाह देते हैं।
अदरक: चमत्कारी गुणों से भरपूर अदरक इंसुलिन सेक्रेशन को रेगुलेट करने में मदद करता है। डायबिटीज के मरीज या तो अदरक के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं या फिर आप इसे दूध में डालकर भी पी सकते हैं।