डायबिटीज पिछले कुछ सालों में दुनियाभर के लिए एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। ये एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है जिसके दो टाइप हैं, टाइप 1 डायबिटीज अनुवांशिक होती है और टाइप 2 डायबिटीज के पीछे हेल्थ एक्सपर्ट्स खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान को अहम कारण बताते हैं।

दरअसल, हम जो कुछ भी खाते-पीते हैं, हमारा शरीर उसे कार्बोहाइड्रेट में तोड़कर ग्लूकोज में बदलता है। वहीं, हमारे पैंक्रियाज से इंसुलिन नामक हार्मोन निकलता है, जिसकी मदद से बॉडी सेल्स इस शुगर को सोख कर एनर्जी बनाती हैं और हमारा शरीर इस एनर्जी को हर तरह के शारीरिक कार्यों के लिए उपयोग करता है।

हालांकि, टाइप 1 डायबिटीज की चपेट में आने पर पेंक्रियाज में हार्मोन इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज में पेंक्रियाज में जरूरत के हिसाब से इंसुलिन नहीं बनता है या हार्मोन ठीक से काम नहीं करता है। इन दोनों ही स्थिति में बॉडी सेल्स खून में मौजूद शुगर की मात्रा को सोखने में असमर्थ हो जाती हैं, जिससे बल्ड में शुगर की मात्रा अनकंट्रोल तरीके से बढ़ने लगती है और ये बढ़ा हुआ शुगर लेवल धीरे-धीरे शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाने लगता है।

ऐसे में मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित लोगों को खासतौर पर अपने खानपान पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है। गलत चीजों का थोड़ी मात्रा में सेवन भी उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में आमतौर पर डायबिटीज रोगी किसी भी चीज के सेवन से पहले उनसे जुड़े फायदे और नुकसान को जानना सही समझते हैं लेकिन इस बीच कुछ लोग एक ऐसी आदत को नजरअंदाज कर बैठते हैं, जो मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। दरअसल, हम यहां धूम्रपान की बात कर रहे हैं।

क्या स्मोकिंग से बढ़ जाता है डायबिटीज का खतरा?

बता दें कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वाले लोगों को मधुमेह होने का खतरा तीन गुना अधिक होता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि स्मोकिंग की आदत टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने के खतरे को 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ देती है। इसके अलावा प्रीडायबिटीज की स्टेज में ये आदत लोगों में और अधिक तेजी से डायबिटीज होने की संभावना को बढ़ा देती है, जबकि मधुमेह से पीड़ित लोगों में उच्च एचबीए1सी (औसतन तीन महीने) का खतरा बढ़ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, धूम्रपान न करने वाले लोग HbA1c के स्तर पर बेहतर नियंत्रण दिखाते हैं।

मामले को लेकर डॉ मोहन डायबिटीज स्पेशलिटी सेंटर, चेन्नई के अध्यक्ष डॉ वी मोहन बताते हैं, भारत में मधुमेह का प्रसार और तंबाकू का उपयोग दोनों ही तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि, साल 2003 में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) और 2004 में अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (एडीए) ने डायबिटीज के बढ़ते खतरे को देखते हुए सीधे तौर पर मधुमेह से पीड़ित लोगों को धूम्रपान नहीं करने की सलाह दी थी।

कैसे असर करती है ये आदत?

डॉ वी मोहन के मुताबिक, सिगरेट में 4,000 से ज्यादा रसायन होते हैं, जिनमें से करीब 51 को कैंसर का कारण माना जाता है। इन रसायनों के चलते शरीर के कई अंगों में ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा होता है। साथ ही ये लिवर, वसा ऊतक (Adipose Tissue) और मांसपेशियों में इंसुलिन रेजिस्टेंस के खतरे को बढ़ा देते हैं। इन सब के अलावा ये पेंक्रियाज के कामकाज को भी प्रभावित करते हैं और क्रोनिक पैंक्रियाटिक के खतरे को अधिक बढ़ा देते हैं, जो भी टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।

वहीं, अगर आपको पहले से ही टाइप 2 डायबिटीज है और इसके बाद भी आप धूम्रपान करते हैं, तो इससे दिल का दौरा/स्ट्रोक आदि जानलेवा स्थिति का खतरा तीन से चार गुना बढ़ जाता है। धूम्रपान से धमनियों में रक्त के थक्के जमने की संभावना बढ़ जाती है जिससे दिल का दौरा पड़ता है। यह हृदय में ऑक्सीजन के प्रवाह को कम कर देता है और हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है।

डॉ वी मोहन के मुताबिक, सिगरेट और तंबाकू में निकोटीन पाया जाता है और निकोटीन एक वैसोकॉन्स्ट्रिक्टर (vasoconstrictor)है, यानी से धमनियों को संकुचित करता है, जिससे इस्किमिया होता है। वहीं, अगर समय रहते इस स्थिति पर ध्यान न दिया जाए, तो धूम्रपान हृदय रोग, किडनी रोग (नेफ्रोपैथी), तंत्रिका रोग (न्यूरोपैथी), नेत्र रोग (रेटिनोपैथी) और पैर रोग जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं को बढ़ा सकता है।

इतना ही नहीं, कई शोध के नतीजों में ये बात सामने आई है कि धूम्रपान पैंक्रियाटिक कैंसर के साथ-साथ अन्य प्रकार के कैंसर को भी ट्रिगर करता है। ऐसे में डॉ वी मोहन खासतौर पर डायबिटीज रोगियों या प्रीडायबिटीज से पीड़ित लोगों को हमेशा के लिए धूम्रपान छोड़ने की सलाह देते हैं।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।