दुनियाभर में कैंसर मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जाता है। भारत में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसरों में फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर, पेट का कैंसर, स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल हैं। अक्टूबर का महीना Breast Cancer Awareness Month यानी स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तन स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाना और शुरुआती लक्षणों को पहचानने के लिए जागरूक करना है। कई बार हमारा शरीर छोटे-छोटे संकेत देता है, लेकिन हम उन्हें सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। यही संकेत आगे चलकर बड़ी समस्या का कारण बन सकते हैं।
एनेस्थिसियोलॉजिस्ट और पेन मेडिसिन स्पेशलिस्ट, डॉ. कुनाल सूद ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें पांच ऐसे सामान्य बदलावों के बारे में बताया है जो ब्रेस्ट हेल्थ से जुड़ी समस्याओं की ओर इशारा करते हैं। इनमें गांठ, निप्पल से डिस्चार्ज, सूजन और त्वचा का डिंपल पड़ना जैसे संकेत शामिल हैं। डॉ. सूद ने बताया कि कुछ बदलाव सामान्य हो सकते हैं, लेकिन कुछ कैंसर के शुरुआती लक्षण भी हो सकते हैं।
ब्रेस्ट में कठोर गांठ
डॉ. सूद के मुताबिक, ब्रेस्ट में नई या कठोर गांठ का बनना ब्रेस्ट कैंसर का सबसे आम और स्पष्ट संकेत होता है। अगर, निप्पल अंदर की ओर खिंच जाए या त्वचा पर छोटे-छोटे गड्ढे या डिंपल दिखने लगे, तो यह इनवेसिव या इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में तीन स्टेप जांच जरूरी होती है। क्लिनिकल एग्जामिनेशन, इमेजिंग जैसे मैमोग्राफी या अल्ट्रासाउंड और बायोप्सी आदि।
निप्पल से डिस्चार्ज होना
किसी महिला को बिना स्तनपान के भी दूध जैसा स्राव हो रहा है, तो यह हार्मोनल असंतुलन, हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया, थायराइड की समस्या या दवाओं के असर के कारण हो सकता है। डॉ. सूद के मुताबिक, अगर निप्पल से खून जैसा स्राव आ रहा है, खासकर केवल एक ही डक्ट से, तो यह ज्यादा चिंताजनक है। यह Intraductal Papilloma या Duct Ectasia के कारण हो सकता है। लगभग 11–16% मामलों में यह कैंसर का संकेत भी हो सकता है।
ब्रेस्ट में लालिमा, दर्द और सूजन
खासकर स्तनपान कराने वाली महिलाओं में लाल, सूजी हुई और दर्द वाली ब्रेस्ट अक्सर मास्टाइटिस या एब्सेस के कारण होती है। डॉ. सूद के अनुसार, अल्ट्रासाउंड से यह पता लगाया जा सकता है कि कहीं अंदर पस या संक्रमण तो नहीं है। ऐसे मामलों में एंटीबायोटिक और नियमित रूप से दूध निकालना जरूरी होता है। अगर, लालिमा और सूजन इलाज के बाद भी कम नहीं होती, तो यह इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है, जिसकी जांच तुरंत करवानी चाहिए।
मुलायम, रबड़ जैसी गांठ
कई बार ब्रेस्ट में महसूस होने वाली स्मूद और मोबाइल गांठ Fibroadenoma हो सकती है, जो एक गैर कैंसरस ट्यूमर है। यह आमतौर पर युवतियों में होती है। अल्ट्रासाउंड में यह अंडाकार और साफ किनारों वाली दिखती है। कुछ मामलों में इसमें पॉपकॉर्न जैसी कैल्सिफिकेशन भी दिखती है। हालांकि, यह कैंसर का खतरा बहुत कम बढ़ाती है, लेकिन हर नई गांठ की इमेजिंग जरूर करवाएं और अगर शक हो तो बायोप्सी कराएं।
बगल में सूजी हुई गांठें
बगल में मुलायम और हिलने वाली सूजी हुई गांठें अक्सर संक्रमण या हाल में लगी वैक्सीन के कारण होती हैं, लेकिन अगर यह गांठें कठोर, स्थिर या लगातार बढ़ती जाएं, तो यह ब्रेस्ट कैंसर, मेलानोमा या लिम्फोमा के फैलने का संकेत भी हो सकता है। डॉ. सूद के मुताबिक, ऐसे मामलों में सबसे पहले अल्ट्रासाउंड जांच की जाती है, और अगर परिणाम संदिग्ध हों, तो बायोप्सी से पुष्टि की जाती है।
वहीं, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने टॉप 10 गट-फ्रेंडली स्नैक्स शेयर किए हैं। उन्होंने बताया कि ये हेल्दी स्नैक्स पेट को हल्का रखते हैं, डाइजेशन को सपोर्ट करते हैं और एनर्जी लेवल को स्टेबल बनाए रखते हैं।