Ganth Ka Ilaj: शरीर में कहीं भी गांठ महसूस होते ही सबसे पहला डर कैंसर का आता है। लेकिन हर गांठ कैंसर की निशानी हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार ये गांठें बिना दर्द की होती हैं और कुछ समय बाद खुद ही खत्म हो जाती हैं। वहीं कुछ गांठें दर्दनाक भी हो सकती हैं, जिनका इलाज जरूरी होता है। आम बोलचाल की भाषा में कई लोग इन गांठों को लिपोमा कहते हैं। आयुर्वेद और योग गुरु बाबा रामदेव के अनुसार, शरीर में बनने वाली गांठों के अलग-अलग कारण और प्रकार होते हैं, जिनका समय रहते इलाज किया जा सकता है।

शरीर में गांठ बनने के मुख्य कारण

शरीर में गांठ बनने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। अगर शरीर का मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाए, तो फैट सही तरह से बर्न नहीं हो पाता और वह एक जगह जमा होकर गांठ का रूप ले लेता है। इसके अलावा डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, कम शारीरिक गतिविधि, पुरानी चोट या इंफेक्शन के कारण भी गांठ बन सकती है। कई बार शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने पर भी ऐसी समस्या देखने को मिलती है।

गांठ के प्रकार

बाबा रामदेव के अनुसार, आमतौर पर शरीर में तीन तरह की गांठ पाई जाती हैं –

टीबी की गांठ

यह गांठ टीबी इंफेक्शन के कारण होती है। आमतौर पर गर्दन, बगल या जांघ के पास नजर आती है। इसमें दर्द भी हो सकता है और समय के साथ यह बढ़ सकती है।

कैंसर की गांठ

यह गांठ धीरे-धीरे बढ़ती है और कई बार दर्द रहित होती है। अगर गांठ का आकार तेजी से बढ़े, रंग बदले या लंबे समय तक ठीक न हो, तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है।

बिनाइन ट्यूमर (लिपोमा)

यह सबसे आम गांठ होती है, जो नरम होती है और आमतौर पर दर्द नहीं करती। इससे कैंसर का खतरा नहीं होता, लेकिन अगर आकार बढ़े तो इलाज जरूरी हो सकता है।

क्या हर गांठ खतरनाक होती है?

आयुर्वेद और योग गुरु बाबा रामदेव के अनुसार, हर गांठ जानलेवा नहीं होती है। कई गांठें पूरी तरह सुरक्षित होती हैं और समय के साथ अपने आप खत्म हो जाती हैं। लेकिन किसी भी गांठ को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर गांठ में दर्द, सूजन, रंग बदलना या तेजी से बढ़ना जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत जांच करानी चाहिए।

गांठ का इलाज कैसे होता है?

गांठ का इलाज उसके प्रकार और कारण पर निर्भर करता है। कुछ गांठें बिना इलाज के ठीक हो जाती हैं, जबकि कुछ में दवा या सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद में भी गांठों के इलाज के उपाय बताए गए हैं, जिनका इस्तेमाल डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह से किया जाना चाहिए।

शरीर में गांठ का आयुर्वेदिक इलाज

बाबा रामदेव के अनुसार, आयुर्वेद में शरीर में बनने वाली गांठों के लिए कुछ खास उपाय मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि वृद्धिवाधिका वटी, कांचनार गुग्गुल और पुनर्नवादि मंडूर.. इन तीनों की दो-दो गोली दिन में तीन बार ली जा सकती है। इसके अलावा सुबह खाली पेट गोमूत्र अर्क पीने की सलाह दी गई है। साथ ही नियमित रूप से कपालभाति प्राणायाम करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है और फैट कम होने में मदद मिलती है। बाबा रामदेव के अनुसार, इन उपायों को करीब तीन महीने तक नियमित रूप से करने से शरीर में बनी गांठों में सुधार देखा जा सकता है। हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक दवा को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।

निष्कर्ष

शरीर में गांठ होना डराने वाला जरूर लगता है, लेकिन हर गांठ कैंसर नहीं होती। सही जानकारी, समय पर जांच और उचित इलाज से इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है। आयुर्वेद, योग और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर कई मामलों में गांठ से राहत मिल सकती है।

डिस्क्लेमर

यह स्टोरी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार की गई है। किसी भी तरह के स्वास्थ्य संबंधी बदलाव या डाइट में परिवर्तन करने से पहले अपने डॉक्टर या योग्य हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

टिटनेस से बचाव के लिए सही समय पर इंजेक्शन लगवाना बेहद जरूरी है। डॉक्टरों के अनुसार, जंग लगे या गंदे लोहे से चोट लगते ही तुरंत टिटनेस का टीका लगवाना चाहिए। पूरी जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें।