कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मधुमेह से पीड़ित लोगों में ब्लड प्रेशर की भी समस्या देखने को मिलती है। एक्सपर्ट के मुताबिक दोनों के रोगियों में काफी स्वास्थ्य समस्याओं में समानता देखने को मिलती है। वहीं 2015 में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (JACC) के जर्नल में दिखाई देने वाले मेटा-विश्लेषण में 4 मिलियन से अधिक युवाओं पर किए गए शोध में यह निष्कर्ष निकाला गया कि हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है। लेकिन डायबिटीज के मरीजों में ब्लड प्रेशर एक तय लेवल से अधिक होता है तो उनमें कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, आइए जानते हैं-
डायबिटीज रोगियों में इससे अधिक नहीं होना चाहिए बीपी
जर्नल फ्रंटियर इन पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुए शोध के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों में अगर बीपी 140/90 mmHg के बराबर हो जाता है तो उन्हें एंटी-हाइपरटेंसिव थेरेपी लेनी शुरू कर देनी चाहिए। उन्हें 140/90 mmHg से कम बीपी का लक्ष्य रखना चाहिए। हालांकि डायबिटीज रोगियों को ये लेवल हासिल करना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए इन्हें नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करते रहना चाहिए।
बीपी बढ़ने पर इनका बढ़ता है जोखिम
मधुमेह रोगियों में ब्लड प्रेशर की शिकायत होने पर सभी प्रकार की ह्रदय बीमारियों का खतरा 75 फीसदी तक बढ़ जाता है। शोध में लिखा गया है कि डायबिटीज रोगियों में अगर व्यक्ति को पहले से हाइपरटेंशन की शिकायत है तो कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा तीन गुना तक बढ़ सकता है। वहीं इसमें स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा मधुमेह से पीड़ित जिन व्यक्तियों में अनियंत्रित बीपी की समस्या थी उनमें रेटीनोपेथी, पेरिफेरल न्यूरोपैथी और पेरीफेरल आर्टरियल डिजीज की समस्या अधिक पाई गई।
मधुमेह और ब्लड प्रेशर में क्या समानता है ?
कई शोध के मुताबिक मधुमेह और बीपी अक्सर एक साथ होते हैं और उनमें कुछ सामान्य लक्षण एक जैसे हो सकते हैं। जिसमें मोटापा, सूजन, ऑक्सीडेटिव, तनाव, इंसुलिन प्रतिरोध शामिल है।
बता दें कि उच्च रक्तचाप, अक्सर मधुमेह मेलेटस के साथ होता है, जिसमें टाइप-1 मधुमेह , टाइप-2 मधुमेह और जैस्टेशनल/गर्भकालीन मधुमेह शामिल हैं। कई अध्ययन के मुताबिक इनके बीच ब्लड प्रेशर के संबंध हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप और टाइप 2 मधुमेह दोनों एक सिंड्रोम के एक पहलू हैं, एक ऐसी स्थिति जिसमें मोटापा और हृदय रोग शामिल हैं। उच्च रक्तचाप और मधुमेह दोनों में कुछ अपने कुछ पहले से मौजूद कारण हो सकते हैं। ऐसे कारक एक-दूसरे के लक्षणों को बिगड़ने में भी योगदान देते हैं।