पैरों में दर्द, सूजन और झनझनाहट होना एक ऐसी समस्या है, जिसे अक्सर लोग बढ़ती उम्र का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, खराब डाइट, शारीरिक गतिविधि की कमी और बिगड़ता लाइफस्टाइल आजकल कम उम्र में ही लोगों को पैरों से जुड़ी कई गंभीर परेशानियों का शिकार बना रहा है। लंबे समय तक बैठे रहना, ज्यादा तला-भुना और मीठा खाना, धूम्रपान, मोटापा और नींद की कमी पैरों में खून के संचार को प्रभावित करते हैं, जिससे नसों पर दबाव बढ़ने लगता है।

डॉक्टर बताते हैं कि पैरों में लगातार दर्द, सूजन या झनझनाहट नसों की कमजोरी, खराब ब्लड सर्कुलेशन, विटामिन B12 की कमी, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल या लंबे समय तक बढ़ी हुई सूजन का संकेत हो सकती है। अगर इन लक्षणों को समय रहते गंभीरता से न लिया जाए, तो आगे चलकर चलने में परेशानी, सुन्नपन और नसों के ब्लॉक होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि पैरों की सेहत के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी पीना और लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से बचना बेहद जरूरी है।

 डाइट में कुछ चीजों से परहेज करना बेहद जरूरी है। कुछ फूड्स ऐसे हैं जिनका सेवन करने से पैरों का दर्द और सूजन बढ़ने लगती है। केला एक ऐसा फल है जो सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन केला को उम्र बढ़ने पर अगर गलत समय और गलत तरीके से खाया जाए, तो यह पैरों की नसों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाने लगता है। केला का सेवन करने से पैरों की नसों में ब्लॉकेज, झनझनाहट, सुन्नपन और चलने में परेशानी का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं कि केला कैसे पैरों को नुकसान पहुंचाता है?

केला कैसे पैरों को नुकसान पहुंचाता है?

डॉक्टरों के मुताबिक पैरों की नसें खून से मिलने वाली ऑक्सीजन पोषक तत्व और ग्लूकोज पर निर्भर करती हैं। उम्र बढ़ने के साथ जब शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता कम होती है और खून में शुगर बार-बार बढ़ती है, तो नसों की दीवारें सख्त होने लगती हैं। यही प्रक्रिया नसों के ब्लॉक होने की शुरुआत मानी जाती है और इसका असर सबसे पहले पैरों की पतली नसों पर पड़ता है।

केला प्राकृतिक रूप से शर्करा से भरपूर फल है, खासकर पूरी तरह पका हुआ केला। जैसे-जैसे केला पकता है, उसमें मौजूद स्टार्च पूरी तरह शुगर में बदल जाता है, जो खून में तेजी से पहुंचती है। 60 साल की उम्र के बाद शरीर इस शुगर को उतनी तेजी से इस्तेमाल नहीं कर पाता, जिससे शुगर लंबे समय तक खून में बनी रहती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यही स्थिति प्री-डायबिटीज, डायबिटीज और नसों की खराबी की नींव रखती है।

बढ़ी हुई शुगर कैसे पैरों की नसों को प्रभावित करती है?

भारत में हुए कई अध्ययनों और चिकित्सा रिपोर्ट्स के अनुसार बुजुर्गों में नसों की कमजोरी और न्यूरोपैथी का सबसे बड़ा कारण लंबे समय तक बढ़ी हुई शुगर है, चाहे व्यक्ति को डायबिटीज का औपचारिक निदान हुआ हो या नहीं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक जब शुगर नसों के अंदर मौजूद प्रोटीन से चिपकती है, तो ग्लाइकेशन की प्रक्रिया शुरू होती है, जिससे नसें मोटी और सख्त हो जाती हैं और खून का बहाव धीमा पड़ने लगता है।

विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि केला पोटैशियम से भरपूर होता है, लेकिन इसका फायदा तभी मिलता है जब शुगर कंट्रोल में हो। अनियंत्रित शुगर शरीर में पानी की कमी की स्थिति में केले में मौजूद पोटैशियम खून को और गाढ़ा कर सकता है। 60 साल के बाद प्यास का एहसास कम हो जाता है और ऐसे में खून का गाढ़ा होना नसों में ऑक्सीजन की कमी और ब्लॉकेज का खतरा बढ़ा देता है।

केला लिवर में कर सकता है सूजन

मेडिकल न्यूज टूडे के मुताबिक केला में मौजूद फ्रुक्टोज लीवर में जाता है और अधिक मात्रा में लेने पर लीवर में सूजन और फैटी लीवर की समस्या बढ़ा सकता है। जब लीवर कमजोर होता है, तो खून से विषैले तत्व साफ नहीं हो पाते और ये नसों तक पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। यही वजह है कि कई बुजुर्गों को डायबिटीज न होने के बावजूद पैरों की नसों की बीमारी हो जाती है।

पैरों को हेल्दी रखने के लिए कब नहीं करें केला का सेवन

डॉक्टरों के अनुसार, 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए खाली पेट केला खाना, रात में केला खाना या दूध के साथ केला खाना सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाता है। यह कॉम्बिनेशन शुगर और वसा को एक साथ खून में पहुंचाता है और इंसुलिन पर अतिरिक्त दबाव डालता है। अगर पैरों में झनझनाहट, जलन, सुन्नपन, भारीपन या ठंडापन जैसे लक्षण दिख रहे हैं, तो रोज केला खाना समस्या को और गंभीर बना सकता है।

केला का सेवन कैसे करें

विशेषज्ञों की सलाह है कि 60 की उम्र के बाद किसी भी फल को अकेले नहीं खाना चाहिए। फल को हमेशा प्रोटीन, फाइबर या थोड़ी वसा के साथ लेना चाहिए, ताकि शुगर धीरे-धीरे खून में जाए। अगर केला खाना हो, तो बहुत छोटा और कम पका हुआ केला दिन में भोजन के बाद लिया जा सकता है। जिन लोगों में पैरों की नसों की समस्या शुरू हो चुकी है, उनके लिए केले से दूरी बनाना ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।

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