उम्र बढ़ने पर जिंदगी को समझने का अनुभव बढ़ता है लेकिन सेहत का ग्राफ गिरता है। महिलाओं की बॉडी में उम्र बढ़ने पर कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं जो उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत को प्रभावित करते हैं। इस स्थिति में शरीर का मेटाबॉलिज्म व फैट स्टोरेज भी प्रभावित होता हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस, हार्ट डिज़ीज़ और वेजाइनल ड्राईनेस जैसी स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र में स्किन का लचीलापन कम होने लगता है, बाल गिरने लगते हैं और माथा आगे से खाली दिखने लगता है। उम्र बढ़ने पर इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है और बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है। इस उम्र में क्रॉनिक बीमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, थायराइड और दिल के रोगों का खतरा भी बढ़ने लगता है।
बॉडी में होने वाले इन बदलावों को मैनेज करना बेहद जरूरी है वरना बॉडी कमजोर होने लगती है और तरह-तरह की बीमारियां परेशान करने लगती हैं। बॉडी में होने वाले इन बदलावों को मैनेज करने के लिए डाइट में हेल्दी फूड्स का सेवन करना और बॉडी के लिए कुछ जरूरी पोषक तत्वों को शामिल करना जरूरी है। हेल्थलाइन के मुताबिक उम्र बढ़ने पर महिलाएं बॉडी में होने वाली इन परेशानी की भरपाई करना चाहती हैं तो अपनी डाइट में मैग्नीशियम रिच फूड्स को शामिल करें। डाइट में मैग्नीशियम को शामिल करके महिलाएं हॉर्मोनल बदलाव को बैलेंस कर सकती हैं, हड्डियां मजबूत बना सकती हैं ,मेनोपॉज के लक्षणों को कंट्रोल कर सकती है। आइए जानते हैं कि मैग्नीशियम रिच फूड 50 प्लस महिलाओं के लिए कैसे दवा का असर करते हैं।
मैग्नीशियम रिच फूड हड्डियां करते हैं मजबूत
50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए मैग्नीशियम का सही सेवन बेहद आवश्यक है। ये महिलाओं की हड्डियों को मजबूत करता है। मेनोपॉज़ के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर घट जाता है, जिससे हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी बढ़ने लगती है और ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का खतरा बढ़ जाता है। हड्डियों के लिए कैल्शियम जितना ज़रूरी है, उतना ही मैग्नीशियम भी जरूरी है। यह शरीर में कैल्शियम को संतुलित करता है, विटामिन D को सक्रिय करता है और नई हड्डियों के निर्माण में मदद करता है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर या हड्डी संबंधी रोगों की संभावना बढ़ जाती है। बादाम, हरी सब्जियां और साबुत अनाज जैसे मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स का सेवन हड्डियों पर दवा की तरह असर करेंगे।
बीपी और दिल के रोगों का नहीं होगा खतरा
50 की उम्र के बाद हार्ट डिज़ीज़ का ख तरा बढ़ जाता है। मैग्नीशियम ब्लड वेसल्स को रिलैक्स करता है, दिल की धड़कन को कंट्रोल करता है और ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम लेने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम होता है। अगर आपको बार-बार धड़कन तेज होना, ऐंठन या हाई बीपी की शिकायत होती है तो यह मैग्नीशियम की कमी का संकेत हो सकता है।
मेनोपॉज के लक्षणों से मिल सकती है राहत
मेनोपॉज के दौरान मूड स्विंग, हॉट फ्लैशेस और चिड़चिड़ापन होना आम लक्षण हैं, जो नींद और नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करते हैं। मैग्नीशियम सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर को कंट्रोल करता है, जिससे चिंता कम होती है, मूड नॉर्मल रहता है और हॉट फ्लैशेस की समस्या घटती है।
मांसपेशियों के दर्द और ऐंठन से मिलती है राहत
50 की उम्र के बाद महिलाओं में टांगों में ऐंठन और मांसपेशियों में जकड़न आम समस्या है। इसका कारण अक्सर ब्लड सर्कुलेशन या इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन होता है। मैग्नीशियम एक प्राकृतिक मसल्स रिलैक्सेंट की तरह काम करता है, जिससे ऐंठन कम होती है। एक्सरसाइज के बाद रिकवरी तेज होती है और मांसपेशियां मजबूत होती है।
ब्लड शुगर होता है कंट्रोल
उम्र बढ़ने के साथ मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा बढ़ता है। मैग्नीशियम इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर करता है और ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को कंट्रोल करता है। लंबे समय तक मैग्नीशियम की कमी मोटापा और हाई बीपी जैसी समस्याओं से जुड़ी होती है। पर्याप्त मात्रा में इसका सेवन वजन और शुगर दोनों को कंट्रोल में रखता है।
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