Risk Factors for Diabetes:डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके लिए खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल जिम्मेदार है। टाइप-1 डायबिटीज (type 1 diabetes) में पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है जबकि टाइप-2 डायबिटीज (type 2 diabetes)में पैंक्रियाज इंसुलिन का कम उत्पादन करता है। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज को लम्बे समय तक कंट्रोल नहीं किया जाए तो इस बीमारी के जोखिम बढ़ने का खतरा अधिक रहता है। डायबिटीज के मरीजों की संख्या देश और दुनियां में लगातार बढ़ती जा रही है।
उम्र दराज लोगों में पनपने वाली ये बीमारी अब कम उम्र के लोगों को भी अपनी चपेट में ले रही है। कम उम्र में इस बीमारी के बढ़ने के लिए कई जोखिम कारक जिम्मेदार है। National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases के मुताबिक अगर आप पहले से ही अपने में मौजूद रिस्क फैक्टर (risk factor)को समझ जाएं तो प्री-डायबिटीज (pre-diabetes) होने पर ही इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं।
भारत में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या ज्यादा है। अगर हमारे देश में लोग इस बीमारी के पनपने के कारणों को समझ लें तो काफी हद तक इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं या फिर इस बीमारी को टाल सकते हैं। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि वजन को कंट्रोल करके (controlling the weight)और बॉडी को एक्टिव रखकर आप टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम से बच सकते हैं। आइए जानते हैं कि टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम कारक कौन-कौन से हैं।
टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम कारक: (What are the risk factors for type 2 diabetes?)
- जिन लोगों का वजन ज्यादा (overweight)है या मोटापा (obesity)से ग्रस्त हैं उन्हें डायबिटीज होने का खतरा अधिक है। मोटापा कंट्रोल करके आप डायबिटीज के रिस्क को टाल सकते हैं।
- उम्र बढ़ने पर टाइप-2 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। 35 साल की उम्र के बाद लाइफस्टाइल और खान-पान का ध्यान रखकर इस बीमारी के जोखिम से बचा जा सकता है।
- बच्चों और किशोरों में भी टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी का खतरा हो सकता है। उम्र बढ़ने पर ये जोखिम बढ़ता जाता है इसलिए उम्र बढ़ने पर 3 महीने में एक बार शुगर का टेस्ट जरूर कराएं।
- मधुमेह का पारिवारिक इतिहास है तो शुगर से सचेत रहें। खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव करें। बॉडी को एक्टिव रखें।
- डेस्क वर्क करते हैं और लम्बे समय तक सीटिंग जॉब करते हैं तो हर आधा घंटे में एक से दो मिनट का ब्रेक जरूर लें। इस बीमारी से बचाव करने के लिए बॉडी को एक्टिव रखना जरूरी है।
- प्री-डायबिटीज है तो खास ख्याल रखें। मीठी चीजों से परहेज करें और रेगुलर एक्सरसाइज करें। रेगुलर वॉक और एक्सरसाइज करके तनाव को दूर किया जा सकता है और डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है।
- बच्चों और किशोरों को भी टाइप 2 मधुमेह होने का अधिक जोखिम होता है। यदि बच्चा जन्म के समय कम वजन के साथ पैदा हुआ था या उनकी मां को प्रेग्नेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज थी तो ऐसे बच्चों को टाइप-2 डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है। ऐसे बच्चे वजन को कंट्रोल करें, वसा और मीठे फूड्स का कम सेवन करें।