राजनीतिक गलियारों में भारी खर्चे से हुए एक चुनावी सर्वेक्षण (Survey) की चर्चा है। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 2024 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ सभी विपक्षी दलों के संभावित प्रधानमंत्री (Prime ministerial Contender) पद के दावेदार स्पष्ट रूप से हार रहे हैं। वहीं अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की तुलना में थोड़ा अधिक स्कोर करते नजर आ रहे हैं। यह स्थिति तब है जब कांग्रेस अपने करीब 17 प्रतिशत प्रतिबद्ध मतदाताओं के पूरे भारत में मौजूद है।
यह सर्वे ऐसे समय में आया है जब आम सहमति है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने उनकी छवि को ठीक किया है। भाजपा के प्रचार तंत्र ने राहुल गांधी की छवि को ‘पप्पू’ वाली बनायी थी, जिसे कांग्रेस और राहुल गांधी ने अब ईमानदारी और अद्भुत शारीरिक सहनशक्ति वाले व्यक्ति के छवि से बदल दिया है।
लंबी दाढ़ी और एक टी-शर्ट के साथ राहुल गांधी कड़ाके की ठंड में रोज 20 किलोमीटर चल रहे हैं। उन्होंनें अपने साथ मार्च करने वालों को गले लगाकर कई नए प्रशंसक बना लिए हैं।
हालांकि आलोचकों का मानना है कि राहुल की छवि में बदलाव से अब तक कोई ठोस चुनावी लाभ नहीं हुआ है। राहुल गांधी हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में गायब थे। यह एकमात्र राज्य है, जिसे हाल में पार्टी ने जीता है। नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि यात्रा ने भाजपा के कोर वोट बैंक में सेंध नहीं लगाई है।
2024 में विपक्षी एकता का कैसा होगा स्वरूप?
विपक्षी दल स्पष्ट रूप से चाहते हैं कि कांग्रेस एकजुट विपक्ष का हिस्सा बने। जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कांग्रेस को छोड़कर गैर-बीजेपी दलों के लिए दोपहर के भोजन की मेजबानी की, तो नीतीश कुमार ने यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया, ”हम एक मुख्य मोर्चा चाहते हैं, तीसरा मोर्चा नहीं”
अगर कांग्रेस 2024 में राहुल गांधी को मोर्चे का चेहरा बनाने पर जोर देती है, तो विपक्षी एकता के प्रयासों में अड़चन पैदा हो सकती है। टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन ने पहले ही एक “फेसलेस फ्रंट” का सुझाव दिया है। प्रभावी रूप से एक नेताविहीन मोर्चा, जिसमें मोदी का मुकाबला करने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग व्यक्ति हों।
गौरतलब है कि राहुल की छवि निर्माण यात्रा से लगभग सभी वरिष्ठ विपक्षी नेता दूर रहे हैं। यहां तक कि तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पवार और हेमंत सोरेन जैसे करीबी सहयोगियों ने भी अपने जूनियर्स को यात्रा में भेजा है। अखिलेश यादव, देवेगौड़ा, मायावती और आप जैसे अन्य लोगों ने भी दूरी बनाए रखी है। यह देखना होगा कि 30 जनवरी को यात्रा के समापन के मौके पर आमंत्रित 21 विपक्षी दलों में से कितने आते हैं।