भारत में डायबिटीज (Diabetes) मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। डायबिटीज के तमाम मरीजों को डॉक्टर इंसुलिन (Insulin) लेने की सलाह भी देते हैं। लेकिन इंसुलिन है क्या, किसे और कब लेना चाहिए, क्या इसके नुकसान भी हैं? आइये समझते हैं।

इंसुलिन क्या है? What is Insulin

इंसुलिन (Insulin) बेसिकली एक हार्मोन है जो बॉडी में अपने आप बनता है। यह शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को कंट्रोल रखता है। और आसान शब्दों में समझें तो जब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, तो इंसुलिन इसे लिवर में स्टोर कर देता है और तब तक नहीं निकलने देता जब तक शुगर कंट्रोल या बैलेंस नहीं हो जाता।

इंसुलिन की जरूरत किसे पड़ती है? Who Needs Insulin Injections

नारायणा हेल्थ क्लीनिक, बेंगलुरु के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और HOD डॉ. सुब्रमण्यम कन्नन अपने एक वीडियो में कहते हैं कि तमाम ऐसे लोग होते हैं जिनकी बॉडी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं करती है या इंसुलिन की कमी होती है, ऐसी स्थिति में बाहर से इंसुलिन का इंजेक्शन देने की आवश्यकता पड़ती है। खासकर टाइप वन डायबिटीज के केस में।

डॉ. सुब्रमण्यम कहते हैं कि डायबिटीज के दो मेजर फैक्टर हैं। पहला बॉडी में इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) और दूसरा इंसुलिन डिफिशिएंसी (Insulin Deficiency)। इंसुलिन रेजिस्टेंस से तात्पर्य है कि आपकी बॉडी में जो इंसुलिन बन रही है, वह कितने कारगर तरीके से काम रही है। डिफिशिएंसी का मतलब यह है कि इंसुलिन की जो मात्रा प्रोड्यूस हो रही है, वह कम है।

When should insulin be given to a diabetic?

  • सर्जरी के दौरान
  • प्रेग्नेंसी के केस में
  • दवा के बावजूद शुगर कंट्रोल ना हो
  • शुगर लगातार खतरे के निशान से ऊपर हो

डायबिटीज मरीजों को कितना इंसुलिन लेना चाहिए? How Much Insulin to Take

डायबिटीज (Diabetes) या ब्लड शुगर (Blood Sugar) के ऐसे मरीज जिनकी बॉडी में इंसुलिन डिफिशिएंसी है, उन्हें इंसुलिन थेरेपी पर डालना पड़ता है या इंसुलिन लेने की सलाह दी जाती है। आपको कब और कितनी मात्रा में इंसुलिन (Insulin) लेनी है, यह कितनी कमी है (Insulin Deficiency) इस पर डिपेंड करता है।

क्या इंसुलिन आखिरी विकल्प है? Is Insulin Safe

डायबिटीज (Diabetes) के तमाम मरीजों को ऐसा लगता है कि इंसुलिन आखिरी विकल्प है, इसके बाद कोई विकल्प या दवा नहीं है। कई मरीजों को इंसुलिन एक सजा की तरह लगती है। डॉ. सुब्रमण्यम कहते हैं कि ऐसा ही नहीं है, इंसुलिन (Insulin) को लेकर कई तरह के भ्रम प्रचारित किए जाते हैं। इंसुलिन को लेकर एक मिथक यह भी है कि अगर एक बार आप इंसुलिन लेने लगे तो फिर जिंदगी भर कभी नहीं बंद होता है। ऐसा कतई नहीं है। कुछ मरीज ऐसे होते हैं जिनमें इंसुलिन की कमी टेंपरेरी होती है। इंसुलिन थेरेपी से उनकी बॉडी की इंसुलिन प्रोड्यूस करने की क्षमता बढ़ सकती है।

अगर किसी मरीज की बॉडी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (Insulin) प्रोड्यूस नहीं कर पा रही है या उसको लंबे समय तक डायबिटीज है तो ज्यादा चांस है कि उसे जीवन भर इंसुलिन लेना पड़े।

क्या इंसुलिन की लत लग जाती है?

फिजीशियन और डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. उत्सव साहू अपने एक वीडियो में कहते हैं कि कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि इंसुलिन की लत (Side Effects of Insulin) लग सकती है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। इंसुलिन (Insulin) एक दवा की तरह है। वह कहते हैं कि अगर शुगर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो इंसुलिन सबसे अच्छा और सबसे सुरक्षित विकल्प है।

इंसुलिन (Myths about Insulin) को लेकर एक और मिथ है कि इसकी सूई (निडल) बहुत तेज होती है या चुभती है। जबकि ऐसा नहीं है। अब मार्केट में बहुत एडवांस नीडल आ गई हैं और डायबिटीज के मरीज खुद आसानी से घर पर ही इंसुलिन लगाते हैं।