राष्ट्रपति पद का चुनाव 18 जुलाई को होने वाला है। राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है। 9 जुलाई को यशवंत सिन्हा जम्मू-कश्मीर पहुंचे। जहां उन्होंने फारूक अब्दुल्ला और महबूबा से मुलाकात कर उन्हें सबसे बड़ा देशभक्त बताया है। इस पर विवेक अग्निहोत्री भड़क गये। 

विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर लिखा कि “जब कश्मीर जल रहा था, आतंकवाद चरम पर था, हिंदुओं को खुलेआम मारा गया, घर जलाए गए, मंदिर नष्ट किए गए, 18 जनवरी (19 जनवरी की अंधेरी रात से ठीक एक दिन पहले) को इस्तीफा देना और लंदन भाग जाना सबसे देशभक्ति की बात है। क्या कर सकते हैं।”

लोगों की प्रतिक्रियाएं: एक यूजर ने लिखा कि ‘सिन्हा जी सब कुछ जानते हुए भी अब्दुल्ला को प्रमाण-पत्र दे रहे हैं। विनाश काले विपरीत बुद्धि !’ धनंजय अग्रवाल ने लिखा कि ‘ये स्वयं भी तो सबसे बड़े देशभक्त हैं, जैसे फारुख अब्दुल्ला, महबूबा या यासीन मलिक है और कांग्रेस सहित सारा विपक्ष कितना बड़ा देशभक्त है, सबको पता है।’

शुकदेव साहू ने लिखा कि ‘राजनीति का रंग हर वक्त बदलता रहता है और ये राजनेता तो बहुरूपी गिरगिट होते हैं।’ कबीर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आदमी कुर्सी के लिए क्या कुछ नहीं बोलता! हद है कि इस हद तक भी कोई जा सकता है।’

महेन्द्र जैन नाम के यूजर ने लिखा कि ‘यशवंत जी, सत्ता का लालच ही कुछ ऐसा होता है। गद्दारों को भी अपना बनाना पड़ता है।’ उत्पल खान नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ऐसा लगता है कि वह देशभक्ति का अर्थ भूल गए हैं। राष्ट्र-विरोधी की अपनी छवि को प्रतिबिंबित किया।’ आरके नायक नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ये हैं हमारे राष्ट्रपति उम्मीदवार धन्य हो, प्रभु वैसे ख़ुशी की बात ये है कि ये कितना कुछ बोलें लेकिन राष्ट्रपति नहीं बन सकते।’

बता दें कि विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला के साथ प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि ‘यहां जितने भी लोग हैं, चाहे वह फारूक साहब हों, महबूबा जी हों, देश में इनसे बड़ा देशभक्‍त नहीं है। अगर ये लोग देशभक्‍त नहीं हैं तो हम में से किसी को अधिकार नहीं है कि देश के प्रति देशभक्ति का दावा करे।’