इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बोलने की आजादी का मतलब देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना नहीं है। जिसे लेकर संगीतकार विशाल ददलानी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विशाल ने ट्विटर पर लिखा कि भारत को इस राजा-प्रजा मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है।
विशाल ने ट्विटर पर इस खबर को शेयर करते हुए लिखा,”बकवास! प्रधानमंत्री का पद जनता के प्रति जवाबदेह होता है, जो भी इस पद पर आसीन होता है वो जनता का सेवक होता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। भारत को इस राजा-प्रजा वाली मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है। बेशक, हम वही भाषा इस्तेमाल कर सकते हैं जो मोदी ने मनमोहन के खिलाफ इस्तेमाल की थी, है ना?” इस ट्वीट पर तमाम मोदी फैंस ने कमेंट्स करते हुए विशाल की खिंचाई की है, तो वहीं कुछ यूजर्स ने विशाल का सपोर्ट किया।
अपूर्व नाम के यूजर ने लिखा,”न्यायपालिका और अन्य सार्वजनिक सेवाओं से ऊपर की सरकार को ध्यान में रखते हुए बहुत समझदारी से संविधान का निर्माण किया गया था। भले ही ये अन्यथा प्रतीत होता हो लेकिन उन्होंने सत्ता को हर चीज से ऊपर रखा है। उदाहरण के लिए, आपातकाल।”
द सीकर नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया,”हां सरकार जवाबदेह है। लेकिन वे लोग भी हैं, वे लोग हैं जो भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी को भी किसी के साथ ‘दुर्व्यवहार’ करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। विशेष रूप से माननीय प्रधान मंत्री जी के साथ।”
आपको बता दें कि जौनपुर में मुमताज मंसूरी नाम के शख्स ने साल 2020 में एक पोस्ट की थी, जिसमें उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत कई मंत्रियों के लिए आपत्तिजनक बातें लिखी थी। मंसूरी के खिलाफ इस पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी।
जिसके बाद मंसूरी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए अपने खिलाफ हुई एफआईआर को खारिज करने की अपील की थी। उसी याचिका को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि“अभिव्यक्ति की आजादी” देश के नागरिक के खिलाफ अभद्र भाषा या गाली-गलौज करने की इजाजत या छूट नहीं देती है, खासकर जब कि वह नागरिक देश का प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या सरकार का कोई अन्य मंत्री हो।