अज से तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रही दिवंगत जयललिता पर बनी ‘थलैवी’ रिलीज होने जा रही है। 14 सालों तक मुख्यमंत्री रहीं जयललिता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, आय से अधिक संपत्ति के मामले में वह जेल गर्इं, उनकी महंगी पोशाकें और आभूषण चर्चा का विषय रहे, भारत-चीन युद्ध के दौरान अपने आभूषण दान देने वाली जयललिता अपने ताकतवर विरोधी डीएमके से जमकर निपटीं। एक ओर संगीत और नृत्य प्रेमी अभिनेत्री, तो दूसरी ओर सत्ता की कुर्सी से बार बार उतार दिए जाने के बावजूद जिद और जुनून से उसे हासिल करने वाली राजनेत्री। ओटीटी चैनल चाहते हैं कि उन पर हिंदी में बनी ‘थलैवी’ सिनेमाघरों में आने के चार के बजाय दो हफ्तों बाद ही उनके प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो। मल्टीप्लेक्स मालिकों को यह मंजूर नहीं है।
कोरोना महामारी के चलते सिनेमाघर पचास फीसद क्षमता के साथ चल रहे हैं सिवाय महाराष्ट्र के, जहां सिनेमाघर बंद हैं। आज से तीन भाषाओं-तमिल तेलुगु और हिंदी में बनी कंगना रनौत की ‘थलैवी’ को लेकर ओटीटी (ओवर द टॉप) चैनलों और सिनेमा संकुल (मल्टीप्लेक्स) मालिकों के बीच खींचतान शुरू हो चुकी है। ओटीटी चैनल चाहते हैं कि सिनेमाघरों में रिलीज के मात्र 15 दिनों बाद हिंदी ‘थलैवी’उनके प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो। मगर सिनेमाघर मालिकों का कहना है कि अगर 15 दिनों में फिल्म ओटीटी पर रिलीज होगी तो उनके सिनेमाघरों में ‘थलैवी’ को कौन देखने आएगा। ‘थलैवी’ कोई ‘बेनहर’, ‘जुरासिक पार्क’ या ‘बाहुबली’ जैसी फिल्म तो है नहीं, जिसे लोग बड़े परदे पर ही देखना पसंद करें।
अगर निर्माता 15 दिनों में ‘थलैवी’ को ओटीटी पर दिखाएगा तो मल्टीप्लेक्स मालिक फिल्म का प्रदर्शन नहीं करेंगे। हालांकि सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर इसे दिखाना चाहते हैं। जाहिर है फिल्म की अभिनेत्री कंगना रनौत परेशान हैं वह इसे अपने करिअर की सबसे बेहतरीन फिल्म मानती हैं इसलिए वह मल्टीप्लेक्स मालिकों से अपील कर रही हैं कि वे फिल्म का प्रदर्शन करने का रास्ता निकालें।
दरअसल निर्माता और वितरकों में सौदा हुआ है कि इस फिल्म के तमिल और तेलुगु संस्करण तो पहले की तरह ओटीटी पर चार हफ्तों के बाद ही दिखाए जाएंगे, मगर हिंदी संस्करण दो हफ्तों के बाद ही ओटीटी पर रिलीज कर दिया जाएगा। यह भेदभाव-भरा सौदा है, जिसमेंं हिंदीभाषी क्षेत्रों के सिनेमाघरों के मालिकों को नुकसान नजर आ रहा है। एक तरह से ‘थलैवी’ को लेकर ओटीटी और सिनेमाघर मालिकों में मुनाफा कमाने को लेकर खींचतान शुरू है। बावजूद इसके फिल्म के रिलीज की उम्मीद है।
अमिताभ बच्चन की ‘चेहरे’ और अक्षय कुमार की ‘बेल बॉटम’ तो टिकट खिड़की पर कोई तूफान पैदा नहीं कर पाई लिहाजा अब कंगना की ‘थलैवी’ पर सिनेमा कारोबारियों की नजरें हैं। तमिल, तेलुगु में ‘थलैवी’ अच्छा कारोबार कर सकती है क्योंकि वहां पर जयललिता की पार्टी एआइएडीएमके का जनाधार है, वह सूबे की सत्ता में भी है और जयललिता के ब्रांड ‘अम्मा’ से लोगों का जुड़ाव है। मगर हिंदीभाषी ‘थलैवी’ का दारोमदार कंगना पर है। जयललिता जैसी नजर आने के लिए उन्होंने खूब मेहनत भी की है।
दक्षिण भारतीय फिल्मों में जयललिता पहली अभिनेत्री थीं, जिन्होंने स्कर्ट पहन आधुनिक महिला को परदे पर उतारा था। हिंदी फिल्म ‘इज्जत’ में उन पर फिल्माया गया गया ‘जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला…’ गाना खूब लोकप्रिय हुआ था। बतौर हीरोइन हिंदी में यह उनकी एकमात्र फिल्म थी। हालांकि तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में जयललिता ने 140 फिल्में की थीं, जिनमें 28 फिल्में तो एमजी रामचंद्रन के साथ थीं। पांच भाषाएं बोलने वाली, पांच नृत्य शैलियों (कथक, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, मणिपुरी, कुचिपुड़ी) की जानकार जयललिता को कंगना कितनी कुशलता से प्रस्तुत करेंगी, ‘थलैवी’ देखकर दर्शक तय करेंगे।