आरती सक्सेना
प्रेम और संगीत मुख्यधारा के हिंदी सिनेमा के अभिन्न अंग रहे हैं। अशोक कुमार-देविका रानी की प्रेम कहानी पर बनी फिल्मों से लेकर हालिया रिलीज फिल्म ‘तड़प’ तक अधिकांश हिंदी फिल्में प्रेम और संगीत के बिना नजर नहीं आती हैं। एक समय था जब किसी नए कलाकार को फिल्मों में प्रवेश के लिए प्रेम कहानी का सहारा लेना पड़ता था। ‘बाबी’, ‘एक दूजे के लिए’, ‘लव स्टोरी’ से लेकर ‘मैंने प्यार किया’ तक में इसे देखा जा सकता है। प्रेम कहानियां आज भी बन रही हैं, मगर लंबे समय से किशोर उम्र की कोमल प्यार का एहसास कराने वाली ‘पपी लव स्टोरी’ दर्शकों के सामने नहीं आई है।
यह कहना अतिश्योक्ति होगी कि सिनेमा ने लोगों को प्यार करना सिखाया। इतना जरूर है कि सिनेमा ने प्यार करने का उचित-अनुचित अंदाज जरूर प्रस्तुत किया। मुख्यधारा का हिंदी सिनेमा प्रेम और संगीत के दो पहियों पर चलता है इसलिए एक्शन, सस्पेंस, और डरावनी फिल्मों तक में प्रेम और संगीत देखने को मिल जाता है।
‘देवदास’ जैसी फिल्म पर एक पूरी पीढ़ी को शराब पलायन और निराशा में डुबो देने का इल्जाम लगा, बावजूद इसके उस दौर की फिल्म से निकले ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार फिल्मजगत में चोटी के अभिनेताओं में शुमार किए गए। देव आनंद, दिलीप कुमार, राज कपूर से लेकर रणबीर कपूर तक ने प्रेम कहानियों के जरिए दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। कलाकार बदलते रहे, दौर बदलते गए और उन्हीं के मुताबिक परदे पर प्रेम कहानियों के अंदाज बदलते रहे।
प्रेम कहानियों के बदल रहे अंदाज
‘मुगले आजम’ जैसी फिल्म ने ‘प्यार किया तो डरना’ संवाद के रूप में ऐसा मंत्र दिया कि जिसे आज तक हर प्रेमी-प्रेमिका जरूरत पड़ने पर बोलते हैं। देव आनंद के प्यार का अंदाज ही नहीं उनकी वेशभूषा तक ने दर्शकों पर असर किया था। शम्मी कपूर का याहू अंदाज देखा। राजेश खन्ना का जमाना आया तो उनके गुरु कुरता और पतंग उड़ाने जैसे हाथों के अंदाज का जनमानस पर असर हुआ। एक्शन फिल्मों को शिखर पर पहुंचाने वाले अमिताभ बच्चन की फिल्मों में लोगों ने प्यार के अलग अंदाज देखे। शाहरुख खान के बाहें फैला कर आसमान को बाहों में भर लेने की नकल आसानी से किसी को भी करते देखा जा सकता है।
किशोर प्रेम की कहानियां
राज कपूर ने 16 साल की डिंपल कापड़िया के साथ अपने 21 साल के बेटे ऋषि कपूर को लेकर ‘बाबी’ बनाई, जिसने किशोर उम्र की प्रेम कहानियों का दौर शुरू किया। कहते हैं कमल हासन और रति अग्निहोत्री को लेकर बनी ‘एक दूजे के लिए’ को देखकर राज कपूर की टिप्पणी थी कि एक अच्छी फिल्म का सत्यानाश कर दिया। कपूर का मतलब था कि फिल्म के अंत में हीरो-हीरोइन की मौत को दर्शक पचा नहीं पाएंगे।
हुआ भी ऐसा ही। कुछ निराश प्रेमियों के आत्महत्या की खबरों के बाद फिल्म का क्लाइमैक्स बदला गया और अंत में प्रेमी-प्रेमिका को जीवित दिखा गया। किशोर उम्र की प्रेम कहानियों के दौर को कुमार गौरव की ‘लव स्टोरी’, सनी देओल की ‘बेताब’ आमिर खान की ‘कयामत से कयामत तक’, सलमान खान की ‘मैंने प्यार किया’ और ऋत्विक रोशन की ‘कहो न प्यार है’ ने परवान चढ़ाया। मगर पिछले कई सालों से टिकट खिड़की पर किशोर प्रेम कहानियों पर बनी किसी फिल्म ने ‘दिलवाले दुलहनियां ले जाएंगे’ जैसी ‘अखिल भारतीय लोकप्रियता’ हासिल नहीं की।
प्रेम कहानियों पर बनी आज की फिल्में
ऐसा नहीं है कि आज प्रेम कहानियों पर फिल्में नहीं बन रही हैं। हाल ही में रिलीज हुई ‘तड़प’ इकतरफा प्यार का अंदाज दिखाती है। हीरो तो हीरोइन पर जान देता है मगर हीरोइन प्यार में धोखा देने के मू्ड में नजर आई। ‘तड़प’ से सुनील शेट्टी के बेटे अहान शेट्टी का कैरियर शुरू हुआ है। आज की फिल्मों में ‘प्यार किया तो डरना ’ के साथ ‘प्यार किया तो मरना क्या’ का अंदाज स्पष्ट देखने को मिलता है।
आज प्रेमी-प्रेमिका संबंध बिगड़ने पर जान देने के लिए उतावले नजर नहीं आते। राजकुमार राव और भूमि पेडणेकर की फिल्म ‘बधाई दो’ में सामाजिक मुद्दे को लेकर चलने वाली अलग तरह की प्रेम कहानी देखने को मिलेगी, जो फरवरी में रिलीज होने जा रही है। आलिया भट्ट सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ ‘आशिकी 3’ में नजर आएंगी।