अक्टूबर में, आदित्य चोपड़ा की कल्ट क्लासिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (डीडीएलजे) के 30 साल पूरे हो गए हैं। आज भी ये फिल्म खूब पसंद की जाती है। फिल्म को भारत ही नहीं लंदन में भी पसंद किया गया है, ये ही कारण है कि इतिहास में पहली बार, किसी भारतीय फिल्म के मुख्य किरदारों को इतना सम्मान दिया गया कि वहां उनका स्टैच्यू बनवाया गया है।

राज-सिमरन के स्टैच्यू का अनावरण लंदन के प्रतिष्ठित लीसेस्टर स्क्वायर पर किया गया, जहां शाहरुख खान और काजोल भी शामिल हुए। इसकी तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो गए, जिनमें दोनों कलाकार अपने स्टैच्यू के सामने फिल्म के खास अंदाज में खड़े दिखाई दे रहे हैं।

काजोल एक स्काई ब्लू कलर की साड़ी में नजर आईं, जबकि शाहरुख खान ने एक क्लासिक काले सूट में दिखे। फिल्म की उपलब्धि को दर्शाते हुए, शाहरुख खान ने एक्स को लिया और लिखा, “बड़े बड़े देशों में, ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं, सेनोरिटा! आज लंदन के लीसेस्टर स्क्वायर में राज और सिमरन की कांस्य प्रतिमा का अनावरण करते हुए रोमांचित हूं, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (डीडीएलजे) के 30 साल पूरे होने का जश्न मना रहा हूं! अविश्वसनीय रूप से प्रसन्नता है कि डीडीएलजे पहली भारतीय फिल्म है जिसे सीन्स इन द स्क्वायर ट्रेल में एक प्रतिमा से सम्मानित किया गया है। इसे संभव बनाने के लिए यूके में सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। अगर आप लंदन में हों तो राज और सिमरन से मिलें…”

यह भी पढ़ें: Google India’s Year In Search 2025: ‘बिग बॉस’ से ‘पाताल लोक 2’ और The Ba***ds of Bollywood तक, भारत में सर्च किए गए ये शोज

इस फिल्म को ग्लोबली भी खूब सराहा गया है। यह “1001 मूवीज़ यू मस्ट सी बिफोर यू डाई” में शामिल केवल तीन हिंदी फिल्मों में से एक है। ब्रिटिश फ़ल्म इंस्टीट्यूट की सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय फ़ल्मों की सूची में यह बारहवें स्थान पर है। और 2012 में, इसे समीक्षकों रेचल ड्वायर और सनम हसन द्वारा चुनी गई बीएफआई साइट एंड साउंड की अब तक की 1,000 महानतम फिल्मों की सूची में शामिल किया गया था।

यह भी पढ़ें: IndiGo Flights Cancellation: इंडिगो फ्लाइट रद्द होने पर राहुल वैद्य को खरीदने पड़े 4.2 लाख के टिकट, निया शर्मा को भी लगा 54 हजार फटका

‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी। उन्होंने अपने पिता यश चोपड़ा को प्रस्तुत करने से पहले तीन साल तक इसकी स्क्रीनराइटिंग पर काम किया। हालांकि उनके माता-पिता को इसमें तुरंत संभावना नजर आई, लेकिन कई सहकर्मी रोमांस के उनके अनोखे अंदाज को लेकर संशय में थे। आदित्य अपनी सोच पर अडिग रहे, जिसका परिणाम ये हुआ कि फिल्म बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन रोमांटिक फिल्म बन गई।