रिपब्लिक नेटवर्क और उसके एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है ,’कोई भी कानून से उपर नहीं है, पर कुछ लोगों को अधिक तीव्रता से टारगेट किया गया है। आजकल एक कल्चर बन गया है कुछ लोगों को उच्च डिग्री का संरक्षण चाहिए।’
यह बात सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर कही, यह याचिका अर्नब गोस्वामी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट की पुलिस जांच पर रोक के खिलाफ थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा,’ प्रेस की स्वतंत्रता जरूरी है परंतु रिपोर्टिंग करते समय जिम्मेदारियां भी होनी चाहिए। कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं सावधानीपूर्वक पत्रकारिता करनी चाहिए।’
अर्नब गोस्वामी की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने प्रेस की स्वतंत्रता की बात करते हुए रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों और अर्नब गोस्वामी से लंबी पूछताछ की बात भी कही। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने हरीश साल्वे से कहा,’ अपने मुवक्किल (क्लाइंट) को एक तरफ रखिए। हम प्रेस की स्वतंत्रता से सहमत हैं। परंतु हम इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं है कि आपके मुवक्किल(क्लाइंट) जो मीडिया से हैं उनसे कोई सवाल ना पूछा जाए।’
इसके अलावा चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने हरीश साल्वे से कहा,’ हमें आपसे ( रिपब्लिक टीवी और अर्नब से) जिम्मेदारी का आश्वासन भी चाहिए।’ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे ने कहा कोर्ट के रूप में हमारी चिंता समाज की शांति और सौहार्द के बारे में है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मौखिक मामले से जुड़ा हुआ इंटलेक्चुअल (बौद्धिक) मामला बताया ।
हालांकि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपको जांच करने का हक है परंतु उत्पीड़न करने का नहीं। इसपर अभिषेक मनु सिंघवी ने आश्वासन देते हुए कहा,’ कोई गिरफ्तारी नहीं होगी और समन भी 48 घंटे पहले दिया जाएगा।’
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अर्नब गोस्वामी और महाराष्ट्र सरकार एफिडेविट फाइल करने को कहा है जिसमें अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी खिलाफ केस और एफआईआर की जानकारी हो। सुप्रीम कोर्ट अब दो सप्ताह बाद इस मामले की सुनवाई करेगा।

