15 अगस्त से पहले लाल किले की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। किले के सामने कंटेनर से एक दीवार खड़ी कर दी गई है ताकि इससे आगे कोई ना बढ़ सके। भारी संख्या में सुरक्षा बल भी तैनात किए गए हैं। कहा जा रहा है कि 26 जनवरी को लाल किले में किसानों से हुई झड़प और हिंसा से सबक लेते हुए पुलिस ने यह कदम उठाया है।

उधर, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों के नाम पर जनता के अंदर भय बैठाने के लिए पुलिस यह सब कर रही है। Jansatta.com से एक्सक्लूसिव बातचीत में टिकैत ने कहा, ‘माहौल बनाने के लिए यह सब किया जा रहा है, जिससे जनता में एक भय रहे कि यहां किसान आएगा…।’

टिकैत ने कहा, ‘जब हम लाल किले पर जा ही नहीं रहे हैं तो इसे संसद में लगाते ना… लाल किले में कोई कानून थोड़ी ही बनता है। लाल किले का कोई राज थोड़ी है अब देश में…अब तो पार्लियामेंट से कानून बनता है। अगर कंटेनर वगैरह लगाना था तो पार्लियामेंट के बाहर लगाते।’

क्यों बदला झंडा फहराने का प्लान? Jansatta.com से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि पहले हमारा 15 अगस्त को झंडा फहराने का प्लान था, लेकिन दिल्ली कैंट में बच्ची के साथ हुए रेप की घटना के बाद प्लान बदल गया है। हम 15 अगस्त को ऐसा करके पॉलिटिकल मुद्दा नहीं बनाना चाहते हैं। हम उत्तराखंड के गांव में जा रहे हैं। नानकमत्था गुरुद्वारा है, कल उसी के नजदीक एक गांव में ध्वजारोहण करेंगे।

 

यूपी में आचार संहिता लगते ही करेंगे चुनाव की बात: लखनऊ जाने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि आने वाले दिनों में लखनऊ, बनारस और दूसरे शहरों में मीटिंग आयोजित की जाएगी। यह पूछने पर कि क्या वो ऐसी मीटिंग के लिए चुनाव नजदीक आने का इंतजार कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि ‘चुनाव की बात तो तब करेंगे जब आचार संहिता लग जाएगी। अभी से चुनाव की क्यों बात करें।’

राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार किसी पार्टी की होती या बीजेपी की होती तो जरूर हमारी बात सुनती। यह सरकार कंपनियों की है। तभी बात नहीं सुन रही है। यह पूछने पर कि आखिर किसान कब तक धरने पर बैठे रहेंगे? उन्होंने कहा कि ‘इसका फैसला सरकार को करना है और सरकार को ही हल निकालना है।’