पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां जोरों पर प्रचार कर रही हैं। ऐसे में पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि चुनावी प्रचार के दौरान इनके लिए कोरोना कहां चला जाता है? उन्होंने इस बीच एक और सवाल पूछा जिसमें उन्होंने कहा- क्या ये अपराध नहीं है? उनके मुताबिक सरकार ने हेल्थ सेक्टर पर सबसे कम पैसा खर्च किया है और इस ओर कम ध्यान दिया जा रहा है।
प्रसून बाजपेयी ने अपने पोस्ट मेंं लिखा- जब हज़ारों की जान पर बनी हो, मेडिकल सुविधा के सामने देश बेबस हो, लाखों लोगों के सामने रोज़ी रोटी का संकट हो, तब सरकार चुनावी प्रचार में लगी हो, ये अपराध नहीं तो और क्या है! अगले पोस्ट में उन्होंने भड़ास निकालते हुए कहा- सबसे कम बजट हेल्थ पर, सबसे लचर इन्फ़्रास्ट्रक्चर अस्पतालों का। सबसे खोखला सिस्टम हेल्थ का। जब जान पर बन आई तब पता चला।
प्रसून बाजपेयी के इन पोस्ट को देख कर लोगों के रिएक्शन भी सामने आने लगे। जतन ठाकुर नाम के शख्स ने लिखा- हेल्थ राज्य का विषय है। पर जुबान में मोदी के अलावा दूसरा कुछ आता नहीं, राज्य सरकारों से सवाल कर लो।
जब हज़ारों की जान पर बनी हो…
मेडिकल सुविधा के सामने देश बेबस हो..
लाखों लोगों के सामने रोज़ी रोटी का संकट हो..
तब सरकार चुनावी प्रचार में लगी हो…
ये अपराध नहीं तो और क्या है !— punya prasun bajpai (@ppbajpai) April 14, 2021
एचएच नाम के अकाउट से कमेंट आया- और चुनाव आयोग जो कि एक स्वतंत्र संस्था है, राजनीतिक लाभ हानि से जिसका कोई मतलब नहीं, वह संस्था इस महामारी में भी चुनाव चुनाव की रट लगाए हुए है । कभी इसका चुनाव कभी उसका। अंधे चुनाव आयोग को चुनाव कराने के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता, गजब।
सबसे कम बजट हेल्थ पर…
सबसे लचर इन्फ़्रास्ट्रक्चर अस्पतालों का…
सबसे खोखला सिस्टम हेल्थ का…जब जान पर बन आई तब पता चलाhttps://t.co/UzBexki0WS via @YouTube
— punya prasun bajpai (@ppbajpai) April 14, 2021
संदीप कुमार नाम के शख्स ने कहा- बात तो आपकी बिलकुल सही है, पर राज्य भी क्या कर रही है? उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है क्या? जब केस कम थे तब सरकारें क्या क्या कर रही थीं और अब देखो हालात। ऋषिकेश नाम के यूजर बोले- चुनाव एक संवैधानिक प्रक्रिया है न कि मोदी के इच्छानुसार। संवैधानिक कार्यों पर उंगली उठाना कितना उचित है?
एक यूजर बोले- सरकार चुनावी प्रचार में नहीं लगी है, राजनैतिक दल चुनावी प्रचार में लगे हैं। या कांग्रेस, वामपंथी और टीएमसी चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं?? लेकिन आपको सिर्फ भाजपा को ही टारगेट करना है। इसी से पता चलता है कि आप एक बेईमान पत्रकार हैं।
आनंद तिवारी नाम के यूजर बोले- दिक्कत ये है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था पूर्णतया चौपट है। नहीं तो प्रजा को मरता छोड़ के राजा चुनाव प्रचार में नहीं निकलता कभी।। इन्हें न देश की चिंता है, न देश के पीड़ित परिवारों की। चिंता है तो बस अपनी कुर्सी की। अपने मित्रों की, अपनी पार्टी की, बाकी देश जाए तेल लेने। संतोष शास्त्री नाम के शख्स ने लिखा- पर आधिकारिक रूप से जिम्मेदारी तो सरकार की ही बनती है और अगर जनता ने भरोसा किया है तो दूसरों की गलती का हवाला दे कर नहीं बचा जा सकता है।
प्रभाकर पांडे बोले- सरकारों को क्या है? सभी राजनीतिक पार्टी को पब्लिक से कोई मतलब नहीं है सिर्फ वोट से मतलब है। किसी भी हालत में उनको सरकार बनाने से मतलब है। जनता मरती है तो मरे उससे सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता।
