Bhojpuri OTT Release Nirahua Film Maai Review: भोजपुरी सिनेमा हो या फिर इसके गाने। अक्सर जहां देखो लोग इसकी आलोचना ही करते रहे हैं। इसकी वजह अश्लीलता का धब्बा रहा है। लेकिन आज इंडस्ट्री में एक्टर्स और मेकर्स बेहतरीन सब्जेक्ट पर काम करने लगे हैं। इंडस्ट्री में अश्लीलता तो आज के समय बस कहने भर के रह गया है। ऐसा हम कह नहीं रहे हैं, लेकिन यकीन मानिए जुबली स्टार यानी कि निरहुआ की फिल्म ‘माई: प्राइड ऑफ भोजपुरी’ (Maai: Pride Of Bhojpuri) देखकर आपको ऐसा ही लगेगा। इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जियो सिनेमा से 16 मई को रिलीज किया गया है। इसमें उनके साथ आम्रपाली दुबे (Amrapali Dubey) और भोजपुरी की फेमस ‘मां’ यानी कि किरण यादव लीड रोल में हैं। तो ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि फिल्म कैसी है और क्यों देखनी चाहिए…?
भोजपुरी फिल्म ‘माई: द प्राइड ऑफ भोजपुरी’ में दिनेश लाल यादव निरहुआ (राजीव) (Dinesh Lal Yadav Nirahua), आम्रपाली दुबे (तुलसी) और किरण यादव (कौशल्या) ने लीड रोल प्ले किया है। इसमें इनके अलावा अवधेश मिश्रा, अमित शुक्ला (भिखारी), सृष्टि पाठक (भिखारी) भी हैं। अब ऐसे में फिल्म की कहानी शुरुआत कौशल्या देवी यानी कि किरण यादव और राजीव यानी कि दिनेश लाल यादव निरहुआ से होती है। इसमें दोनों स्टार्स मां-बेटे के रोल में होते हैं। आम्रपाली ने लेडी लव का किरदार निभाया है।
क्या है फिल्म की कहानी?
भोजपुरी फिल्म ‘माई’ (Bhojpuri Film Maai Pride of Bhojpuri) की कहानी काफी दमदार है। इंडस्ट्री में मां के ऊपर तो बहुत सी फिल्में बनी हैं, जिसमें मां को धिक्कारते हुए और सास बहू के झगड़ों के बीच मां-बेटे के प्यार को दिखाया गया है। मगर ये उन हर फिल्मों से काफी अलग है। इसमें निरहुआ की जिंदगी का एक ऐसा काला दिन दिखाया गया है, जो 48 दिनों के उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है, जो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होता है। अब इस काले दिन से लेकर 48 दिन के सफर को जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी, जिसके बाद ही आप मां-बेटे के प्यार को और बेहतर समझ पाएंगे।
कैसी है स्टार्स की एक्टिंग?
भोजपुरी फिल्म ‘माई’ में स्टार्स की कमाल की एक्टिंग को दिखाया गया है। निरहुआ ने राजीव के किरदार को बखूबी पर्दे पर दिखाया है। वो पर्दे पर उस राजीव को भी दिखाने में कामयाब रहे हैं, जो कि एक अरबपति और शुगर मील्स का मालिक होता है और एक राजीव, जो सड़कों पर भीख भी मांगता है। वहीं, आम्रपाली ने लेडी लव तुलसी को भी अच्छे से दिखाया है। जिसे कोई खास स्क्रीन स्पेस तो नहीं दिया गया है मगर जितनी भी वो दिखी हैं फिल्म को रोमांचक की बनाया है। मगर कहीं ना कहीं आपको मूवी की कहानी में उनका कोई खास काम नहीं दिखाई देगा।
अवधेश मिश्रा एक मंझे हुए कलाकार हैं। मगर इस कहानी में वो फिट नहीं बैठ रहे थे। बल्कि ऐसा लग रहा था कि उन्हें इसमें जबरन रोल दिया गया है। उनकी तुलना में दूसरे विलेन के किरदारों को स्क्रीन पर स्पेस दिया गया है और काम को भी दिखाया गया है। इसमें ना ही वो कॉमेडी ही दिखा पाए हैं और ना ही ठीक से विलेन बन पाए हैं।
इसके साथ ही एक्टर अमित शुक्ला ने तो भिखारी के रोल को जीवंत कर दिया है। उन्हें अक्सर पिता, भाई और विलेन की भूमिका में देखा जाता रहा है। लेकिन इस मूवी में उनकी कमाल की एक्टिंग ने सभी का दिल जीत लिया। निरहुआ के सहयोगी बने अमित शुक्ला ने कमाल का अभिनय किया है।
कहानी में मिस करेंगे ‘माई’
निरहुआ की फिल्म ‘माई’ का निर्देशन रजनीश मिश्रा ने किया है। रजनीश मिश्रा कमाल के एक्टर और डायरेक्टर हैं। मूवी में उन्होंन साधू का रोल किया है, जिसमें उन्हें पहचान पाना भी काफी मुश्किल होता है। उनका निर्देशन में ठीक-ठाक कहा जा सकता है। क्योंकि फिल्म का नाम माई है और ये मां पर आधारित होती है। इसका केंद्र मां होती है, जो कि फिल्म कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है वो कुछ समय के लिए गायब होती नजर आती है। अपने ट्रेक से हटती दिखती है। रोमांस, कॉमेडी और ऐक्शन के बीच ‘मां’ कहीं खो जाती है। लेकिन, फिर धीरे-धीरे ये ट्रेक लौटेगी और थोड़ा सस्पेंस बनाएगी। क्लाइमैक्स में ऐक्शन के बाद फिल्म के कुछ ऐसे सीन्स हैं, जो आपकी आंखों में आंसू ला देगा। मगर अंत में जीत विश्वास, धैर्य, प्रण और प्यार की होती है।
रजनीश इसकी कहानी को दो घंटे में ही खत्म कर सकते थे, लेकिन इसे थोड़ा खींचा गया है। इसका टोटल ड्यूरेशन 2.47 घंटे का है। फिल्म में गाने भी प्यारे हैं और आम्रपाली के साथ निरहुआ की कैमिस्ट्री अच्छी लगेगी।
क्यों देखनी चाहिए फिल्म?
दिनेश लाल यादव और आम्रपाली स्टारर फिल्म ‘माई’ को इसलिए भी आपको देखनी चाहिए क्योंकि अगर आप भोजपुरी प्रेमी हैं मगर अश्लीलता की वजह से फिल्में नहीं देख पाते थे तो इससे अब निश्चिंत रहिए ये अश्लीलता से कोसों दूर है। साथ में अगर आप आम्रपाली और निरहुआ के फैन हैं तब भी इसका आनंद ले सकते हैं। वहीं, मां-बेटे के प्यार पर आधारित इसकी कहानी को परिवार के साथ देख सकते हैं, जो मां के प्रति बेटे का प्रेम दिखाती है। साथ ही इससे समझ सकते हैं कि मां के बिना कुछ नहीं। दुनिया में कुछ भी पाने के लिए प्रेम और हाथ फैलाना जरूरी होता है। अकड़ से और पैसे से कुछ नहीं पा सकते हैं।