बॉलीवुड के मशहूर एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने तालिबान का समर्थन करने वाले भारतीय मुसलमानों को नसीहत दी कि वे तालिबान की जीत का जश्न न मनाएं। उन्होंने बीते दिन एक वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें वह कहते नजर आए कि हिंदुस्तानी मुसलमानों को खुद से सवाल करना चाहिए कि वे अपने धर्म में सुधार चाहते हैं या पुराने वहशीपन के साथ रहना चाहते हैं। नसीरुद्दीन शाह के बयान को लेकर न्यूज 18 के डिबेट शो भैयाजी कहिन में भी चर्चा हुई। शो में पत्रकार माजिद हैदरी ने नसीरुद्दीन शाह के बयान को मजबूरी करार दिया।
माजिद हैदरी ने नसीरुद्दीन शाह के बयान पर रिएक्शन देते हुए कहा, “सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि नसीरुद्दीन शाह का बयान ही फिक्र की बात है। यह एक बड़े अभिनेता हैं, लेकिन यह क्यों मजबूर हो गए ऐसी बातें करने से। पिछले छह सालों से नसीरुद्दीन शाह साहब डरे हुए हैं। उन्होंने एक बार कहा था कि अल्पसंख्यकों को यहां समस्या हो रही है तो भाजपा वालों ने उन्हें घेर लिया था।”
माजिद हैदरी ने नसीरुद्दीन शाह के बारे में बात करते हुए आगे कहा, “उनकी इस बात पर भाजपा और आरएसएस का कहना था कि इन्हें पाकिस्तान भेज दो। उसके बाद दूसरी बार विवाद तब उपजा, जब उन्होंने कंगना रनौत के खिलाफ अपनी जुबान खोली। उन्होंने बयान में कहा था कि यह सेमी एजुकेटेड क्वीन कैसी बेवकूफाना बातें करती हैं।”
नसीहुद्दीन शाह के बयान पर माजिद हैदरी ने आगे कहा, “उस वजह से कुछ मामले ऐसे भी हो गए कि नसीरुद्दीन शाह को अपने बयान से पीछे हटना पड़ा। वह इस भगवा लॉबी को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया जा सकता। नसीरुद्दीन शाह की मजबूरी है कि वह पानी में रहकर संबित पात्रा से बैर नहीं कर सकते और बाकि लोगों से बैर नहीं कर सकते।”
माजिद हैदरी ने चर्चा के दौरान शाहरुख खान और आमिर खान का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “एक वक्त पर आमिर खान की भी मजबूरी थी। उन्होंने एक बार मुंह खोला था तो उन्हें पर्यटन विभाग ने ब्रांड एंबेसडर के पद से हटा दिया था। शाहरुख खान ने मुंह खोला तो उन्हें वानखेड़े स्टेडियम से बैन कर दिया गया था। हमारे देश में मुसलमानों के लिए बात करनी बड़ी मुश्किल होती है।”