आरती सक्सेना
कई साल पहले बनी मदर इंडिया, अमिताभ बच्चन की बागवान, अमोल पालेकर की खट्टा मीठा आदि फिल्में जो रिश्तों में प्यार, कड़वाहट और स्वार्थ को दर्शाती हैं। ऐसी फिल्में आज भी दर्शकों के जेहन में हैं। यही वजह है कि 100 साल में सिनेमा के इतिहास में कई ऐसी सामाजिक फिल्में बनी हैं जो यादगार की श्रेणी में आती हैं। आज भी कई ऐसी फिल्में बन रही हैं जो रिश्तों, परिवार और दोस्ती पर केंद्रित है। एक निगाह…
अगर सामाजिक फिल्मों की बात करें तो कई फिल्में जिंदगी को सही ढंग से जीने की शिक्षा देती हैं। ऐसे लोगों को प्रेरित करती हैं जिन्होंने जीवन में हार मान ली है या पूरी तरह से निराश हो चुके हैं। सामाजिक शिक्षाप्रद फिल्में ऐसे लोगों को सही राह दिखाती हैं। जैसे कि हालिया रिलीज फिल्म सलाम वेंकी की कहानी इच्छा मृत्यु पर केंद्रित है जिसमे एक मरता हुआ इंसान मरते हुए भी अपने शरीर के अंगों का दान करना चाहता है। दूसरों का भला करने के उद्देश्य से, ताकि उसकी वजह से जो लोग जिंदा है वह उसके दान किए हुए अंगों के जरिये आगे की जिंदगी अच्छे से जी सके।
सलाम वेंकी फिल्म का मुख्य उद्देश्य यह है कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए हर कोई अपने लिए जीता है। लेकिन जो दूसरों के लिए जीते हैं वही असल में और निस्वार्थ जिंदगी जीते हैं।यह कहानी वास्तविक कहानी पर आधारित है। इसी तरह सूरज बड़जात्या की फिल्म ऊंचाई ऐसे चार दोस्तों की कहानी है जो बड़ी उम्र में या यूं कहिए वृद्धावस्था में अपने मरे हुए दोस्त की आखिरी इच्छा पूरी करने के उद्देश्य से माउंट एवरेस्ट चढ़ने को तैयार हो जाते हैं। ऊंचाई फिल्म में इस बात को दिखाया गया है कि अगर मन में इच्छा हो, कुछ कर दिखाने का जुनून और जोश हो तो बड़ी उम्र भी कोई मायने नहीं रखती।
इसी तरह अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म गुड बाय में मौत के बाद दाह संस्कार और अंतिम संस्कार के नाम पर ढकोसला, दिखावा और अंधविश्वास का फिल्मांकन हास्यास्पद और भावुक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। आने वाली फिल्मों में कई ऐसी हैं जो सामाजिक रिश्तों और सामाजिक मुद्दों को दर्शाती हैं जैसे कि सलमान खान की फिल्म किसी का भाई किसी की जान जोकि पहले कभी ईद कभी दिवाली के नाम से बन रही थी, की कहानी हिंदू मुसलिम के प्यार भरे रिश्ते को दर्शाती है।
जहां एक और आज 21वीं सदी में भी हिंदू मुसलिम लड़के नजर आ रहे हैं वही सलमान खान की इस फिल्म में जातिभेद को मिटाते हुए प्यार को दर्शाया गया है।अक्षय कुमार की फिल्म ओएमजी जो ओ माय गाड का दूसरा भाग है। इस फिल्म में भारतीय शिक्षा के बिगड़ते मुद्दों को दिखाया गया है। इससे पहले ओ माय गाड में धर्म के नाम पर फैलाए गए पाखंड और अंधविश्वास को दर्शाया गया था।अक्षय कुमार की एक और फिल्म सेल्फी की कहानी भी अमीर गरीब , अभिनेता और प्रशंसक के बीच दोस्ती के रिश्ते की कहानी है जिसमें अक्षय कुमार और इमरान हाशमी की जोड़ी को दिखाया गया है।
जोया अख्तर की फिल्म जी ले जरा की कहानी लड़कियों की आजादी ओर अपने हक के लिए लड़ने वाली लड़ाई को केंद्रित करके बनाई गई है जिसमें तीन लड़कियां आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा, कैटरीना कैफ सड़क से यात्रा की योजना बनाती हैं लेकिन लड़कियां होने के कारण कैसी रुकावटें ओर अड़चनें आती हैं और वे इससे कैसे निपटती हैं, उसे इस फिल्म में दिखाया गया है ।