Happy Birthday Lata Di & Bhagat Singh: ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना जब भी लोगों के कानों में सुनाई पड़ता है, हर भारतीय की आंखें नम हो जाती हैं और दिल पसीज जाता है। देशभक्ति से सराबोर इस गाने के एक एक शब्द में वो दर्द छिपा है जिसे देश को आजाद कराने वाले वीरों ने झेला। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपनी आवाज और भावों से इस गीत में रूह पैदा कर दी।
लता मंगेशकर ने देशभक्ति के ऐसे ही कुछ और गाने भी गाए जिन्हें सुन कर आंखों से आंसू छलक आते हैं। तो वहीं ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ गाना आजादी की वो ललकार है जिसे भगत सिंह ने अपने शब्दों से और बुलंद किया। आज यानी 28 सितंबर को लता मंगेशकर का जन्मदिन है। साथ ही साथ देश के अनमोल रत्न, भारत भूमि के वीर पुत्र शहीद भगत सिंह की जयंती भी है।
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देशभक्ति के ऐसे कई गीत हैं जो हम गुनगुनाते हैं, उनके पीछे इतिहास है। ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ आज भी जवानों की रगों में जोश पैदा करता है। ये जोश और जुनून ऐसे ही नहीं है। बसंत पंचमी के त्यौहार के वक्त इस गाने को नेता राम प्रसाद बिस्मिल ने बनाया था। यह सिर्फ एक गाना नहीं था। लोगों में जोश और जुनून पैदा करने का तरीका था।
लखनऊ जेल में काकोरी षड्यंत्र के कई कैदी क्रांतिकारियों ने मिलकर तय किया था कि ‘कल बसंत पंचमी के अवसर पर सभी पीली टोपी और हाथ में पीला रुमाल लेकर कोर्ट जाएंगे।’ ‘बिस्मिल’ जी को कहा गया कि कल के लिए कोई तड़कती भड़कती कविता लिखिये। उस कविता को सबने मिलकर गाया। ये कविता यही थी- ‘मेरा रंग दे बसंती चोला।’ धीरे धीरे ये कविता हर क्रांतिकारी के दिल में रच बस गई और अब ये गीत भगत सिंह के पास भी जा पहुंचा। उन्हें ये शब्द बहुत पसंद आए और उन्होंने भी इसमें अपने कुछ और शब्द जोड़ दिए। भगत सिंह उस वक्त लाहौर जेल में बंद थे।
“इसी रंग में बिस्मिल जी ने ‘वन्दे-मातरम्’ बोला,
यही रंग अशफाक को भाया उनका दिल भी डोला
इसी रंग को हम मस्तों ने, हम मस्तों ने..
दूर फिरंगी को करने को, को करने को..
लहू में अपने घोला।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला..
हो मेरा रंग दे बसन्ती चोला..
माय! रंग दे बसन्ती चोला..”
बता दें, भगत सिंह पंजाब के दोआब जिले में 28 सितंबर, 1907 को एक संधू जाट परिवार में जन्मे थे। भगत सिन्ह ने बहुत कम उम्र में स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने का फैसला ले लिया था। उस वक्त देश में अंग्रेजों का राज था। लेकिन भगत सिंह को किसी की गुलामी मंजूर नहीं थी। ऐसे में उन्होंने ‘आजादी’ को अपनी दुल्हन मान लिया।
अपना सारा जीवन उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर करने के लिए समर्पित कर दिया। केवल 23 वर्ष की आयु में भगत सिंह शहीद हो गए थे। भगत सिंह अपने वीर और क्रांतिकारी कृत्यों के लिए लोकप्रिय हैं। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो पूरी तरह से भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल थे। इस धरती पर वीर भगत सिंह के कर्म को कोई भुला नहीं सकता।