कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू है। वहीं एहतियात के तौर पर भी लोगे खुद को क्वरंटाइन कर रहे हैं। ऐसी ही मिसाल केरल से लौटे उड़िसा के मजदूरों ने पेश की जिन्होंने गांव के बाहर ही खुद को क्वरंटाइन किया। आदिवासी मजदूरों के इस फैसले को कुमार विश्वास ने देश के पढ़े लिखे लोगों के लिए एक सबक के तौर पर इंगित किया है।
कुमार विश्वास ने समाचार एजेंसी ANI के इस खबर को रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘पढ़े-लिखे और मज़हबी जाहिलों के लिए एक आदिवासी भारतीय सबक़’। कुमार विश्वास के इस ट्वीट पर कई यूजर्स अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ‘आत्मघाती होने की बुनियादी शर्त जाहिल होना है। अब भी कोई शक है क्या ?’ एक अन्य ने लिखा, ‘सर आपका जो ये वाला अवतार है ये बरकरार रखिए क्योंकि ये सुधरेंगे नहीं।’ एक यूजर ने कहा, ‘कमाल है, देश एकजुट होकर एक महामारी से लड़ रहा है और कुछ लोग ऐसे वक़्त में भी ‘जलसा’ कर रहे हैं।’
गौरतलब है कि पूरे देश में लॉकडाउन लागू होने से देश के कई हिस्सों में मौजूद मजदूर अपने घर को रवाना हो रहे हैं। केरल में काम करने गए उड़िसा के 12 आदिवासी मजदूर भी अपने गांव कालाहांडी पहुंचे और खुद को क्वारंटाइन करने का फैसला लिया। सभी मजदूर पहले अस्पताल जाकर चेकअप कराए। लेकिन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई, बावजूद इसके सभी ने एहतियात के तौर पर गांव के बाहर एक खेत में तंबू में खुद को क्वरंटाइन करने का फैसला लिया।
पढ़े-लिखे और मज़हबी जाहिलों के लिए एक आदिवासी भारतीय सबक़ #StayHomeIndia https://t.co/9bpwcB0lyV
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) March 31, 2020
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