राजीव सक्सेना
एक तरफ जहां, आज के तेज भागते समय के साथ कदमताल करते प्रगतिवादी युवाओं के सपनों के साकार होने की कहानियां हैं तो दूसरी ओर देश की तरक्की में बाधा बनने वाले आतंकी संगठनों की गतिविधियों का खौफनाक मंज़र याद करातीं सच्ची कथाओं को दिलचस्प अंदाज से पेश किया गयाा है।
पिचर्स : युवा सपनों की उड़ान
अंग्रेजी शब्द पिचर्स के हिंदी में मौजूद अनेक मायनों में से एक घड़ा या सुराही है तो एक अन्य अर्थ में बेसबाल के खेल में गेंद फेंकने वाले खिलाड़ियों को भी पिचर्स कहा जाता है. इस शीर्षक से लोकप्रिय रही वेब शृंखला के दूसरे भाग का प्रसारण ज़ी फाइव पर इस सप्ताह प्रारम्भ हुआ। पहले भाग की कहानी चार उन दोस्तों से शुरू होती है, जो सुबह दस से पांच बजे की अपनी अपनी नौकरियों से ऊबते हुए कुछ बड़ा करने का संकल्प लेते हैं।
उस भाग में देखे गए सपने को शृंखला के इस भाग में आकार देने की कहानी दिखाई गई है। नवउद्यमी नौजवान अगर मन में कुछ ठान ले तो उस काम को पूरा करने में उसे रोकने वाला कोई नहीं होता। मुंबई के चार दोस्त स्टार्ट अप उपक्रम को गति देते हुए प्रगति नाम से कंपनी बनाते हैं। प्रेरक कहानी पिचर्स को लेखक – निर्देशक अरुणाभ कुमार ने खूबसूरत अंजाम देने की कोशिश की है। अभिषेक बनर्जी, नवीन कस्तूरिया, अरुणाभ कुमार के प्रमुख रोल के अलावा आशीष विद्यार्थी और सिकंदर खेर ने छोटे लेकिन महत्त्वपूर्ण किरदारों को शिद्दत से जीकर सीरीज को दिलचस्प बनाया है।
काठमांडू कनेक्शन : कसी हुई प्रस्तुति
23 बरस पहले, नेपाल के काठमांडू हवाईअड्डे से भारत आ रहे इंडियन एअरलाइन्स के विमान के अपहरण और उसके बदले में ख़तरनाक आतंकियों मसूद अज़हर और उमर सईद आदि की रिहाई की सच्ची कहानी को सोनी लिव की नई सीरीज काठमांडू कनेक्शन में रोचक तरीके से पेश किया गया है। इस सीरीज का भी यह दूसरा भाग है, जिसमें पहले भाग के किरदारों के अलावा कुछ नए किरदार भी जोड़े गए हैं।
भारतीय पत्रकार शिवानी भटनागर, दिल्ली पुलिस के बर्खास्त इंस्पेक्टर, तिहाड़ जेल में कैद सन्नी शर्मा, आतंकी गतिविधियों में संलग्न वाजिद खान जैसे चरित्रों के बीच रची-बुनी कहानी को निर्देशक सचिन पाठक ने छह एपिसोड में पिरोकर दिलचस्प बनाने की कोशिश की है। प्रशांत नारायण, अमित सियाल, अक्सा पारदासानी,हरलीन सेठी, अंशुमान पुष्कर, ज़ाकिर हुसैन, गोपाल दत्त और अनुराग अरोड़ा आदि अभिनेताओं ने काठमांडू कनेक्शन शृंखला के दूसरे भाग को दर्शनीय बनाने में कसर नहीं छोड़ी। छह अंकों में समेटने के पीछे निर्देशक का मकसद सीरीज को बोझिल होने से बचाने का ही माना जा सकता है।