तालिबान के साथ भारत की पहली औपचारिक बातचीत को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व राष्ट्रपति उमर अब्दुल्ला ने नरेंद्र मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। बुधवार को उन्होंने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे तालिबान आतंकवादी संगठन है या नहीं। उनका कहना है कि अगर तालिबान आतंकवादी संगठन है तो भारत उससे बातचीत क्यों कर रहा है। उमर अब्दुल्ला के बयान पर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने पलटवार किया है।
उन्होंने कहा है कि विरोधी ऐसे बयानों से उनकी पार्टी को चिढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। संबित पात्रा न्यूज 18 इंडिया के डिबेट शो ‘आर पार’ में बोल रहे थे जहां उनसे एंकर अमिश देवगन ने पूछा, ‘उमर अब्दुल्लाह कह रहे हैं कि अगर वो आतंकवादी संगठन है तो उनसे बातचीत करने की क्या जरूरत है? क्या आपको लगता है कि भारत की विदेश नीति पर गंभीर सवाल खड़ा हो गया है?’
जवाब के संबित पात्रा ने कहा, ‘बिलकुल नहीं। देखिए आतंकी संगठन हो..आप क्या यहां से टैंक लेकर लड़ाई शुरू कर जो भारतीय वहां फंसे हुए हैं, उनको ला सकते हैं? बिलकुल नहीं। आपको कूटनीतिक तरीके से बिना खून बहाए करना होगा। आपको क्या लगता है अगर आप युद्ध शुरू कर देंगे तो वो हमारे नागरिकों को वहां छोड़ देंगे, सुरक्षा देंगे? अभी हमारी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए?’
उन्होंने आगे कहा, ‘क्यों आज फारुख अब्दुल्ला हों या उमर अब्दुल्ला हों या कांग्रेस पार्टी के कुछ लोग इस प्रकार की बयानबाज़ी कर रहे हैं? वो हमें चिढ़ा रहे हैं। ये ओवैसी हमें जीभ से चिढ़ा रहे हैं कि अच्छा तुम तो हमारे लोगों को जेल में डाल देते हो। वो पाकिस्तान के पक्ष में बोलते हैं तो तुम हमें छोड़ते नहीं हो यहां पर लेकिन तालिबान के साथ आप बातचीत कर रहे हो, ये कहीं न कहीं उसे वैध ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।’
बता दें, मंगलवार को भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की। यह पहली बार था जब भारत और तालिबान में कोई औपचारिक मुलाकात हुई हो। मुलाकात पर भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान भी जारी किया गया जिसमें कहा गया कि आतंकवाद के लिए अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
इस बातचीत पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार उन सभी नेताओं की सूची रद्द कर देगी जो आतंकवाद की श्रेणी में रखे गए हैं। उन्हें कहा, ‘क्या सरकार उन सभी तालिबानी नेताओं की लिस्ट रद्द करने जा रही है जिन्हें आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि भारत प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष है। अगर ऐसा नहीं होता तो क्या मोदी सरकार तालिबान को UAPA की आतंकी लिस्ट में शामिल करेगी।’