अमिताभ बच्चन अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर काफी एक्टिव रहते हैं। वो अपनी पुरानी फ़िल्मों से जुड़ी यादें, शायरी आदि अपने फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं। अमिताभ ने हाल में दो शेर ट्वीट किए जिसके बाद कई लोगों ने उनकी खिंचाई शुरू कर दी। दरअसल उन्होंने शेर को मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब और इक़बाल का शेर बताया जिसे यूजर्स ने फर्जी करार दिया। उनके शेर पर वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मृणाल पांडे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये भाजपा हाईकमान और तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए पश्चिम बंगाल के नेता सुवेंदू अधिकारी के बीच का संवाद प्रतीत हो रहा है।

अमिताभ ने दोनों शेरों को एक तस्वीर की शक्ल में शेयर करते हुए अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया था, ‘शायरी बनाम शायरी!’ तस्वीर में लिखा था, ‘दो मशहूर शायरों के अपने-अपने अंदाज़- मिर्ज़ा ग़ालिब: उड़ने दे इन परिंदों को आज़ाद फिज़ा में ग़ालिब, जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएंगे…।’

पहले शेर के जवाब में दूसरा शेर कुछ इस प्रकार था, ‘शायर इक़बाल का उत्तर- ना रख उम्मीद-ए- वफ़ा किसी परिंदे से..जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं।’ अमिताभ बच्चन के इन दो शेरों पर अपनी टिप्पणी करते हुए मृणाल पांडे ने ट्वीट किया, ‘यह तो भाजपा हाईकमान और सुवेंदू के बीच का संवाद अधिक प्रतीत होता है।’

 

 

बॉलीवुड निर्देशक अविनाश दास ने भी अमिताभ बच्चन के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि लगता है आजकल अमिताभ भी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से जुड़ गए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘सर, आपने जो ये दो शेर दो शायरों के नाम से चिपकाए हैं, वो फ़र्ज़ी शेर हैं। इन दोनों शायरों ने कभी इतने ख़राब शेर नहीं कहे। लगता है आजकल आप भी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से जुड़ गए हैं और साहित्य, इतिहास के कचरे को प्रचारित-प्रसारित करने लगे हैं।’

अभिनव पांडे नाम के एक यूजर ने अमिताभ को जवाब दिया, ‘इलाहाबाद का अपना आशियाना आप भी भूल गए हैं सर। साहित्य की नगरी, साहित्य शिरोमणि पिता के बेटे का यूं व्हाट्सप यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना भला किसे अच्छा लग सकता है।’

 

मंजीत ठाकुर नाम के एक यूजर ने अमिताभ बच्चन को जवाब दिया, ‘बच्चन साब! अब इंतजार उस दिन का है, जिस दिन आप महात्मा गांधी का कथित तौर पर वो मशहूर कथन कोट करेंगे, ‘ग्राहक हमारा भगवान है…।’

लल्लनटॉप के असिस्टेंट एडिटर मुबारक ने अमिताभ की शेर पर अपनी टिप्पणी में लिखा, ‘ग़ालिब और इक़बाल को भी आपकी फ़िल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ इतनी ही पसंद आई थी सर।’ प्रभात रंजन नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘लगता है बच्चन साहब अपने ट्विटर मैनेजर को ठीक से सैलरी नहीं दे रहे।’

 

जौनसी नाम की एक यूजर ने लिखा, ‘न ये इक़बाल हैं , न मिर्ज़ा ग़ालिब, मालूम होता है ये आप भी नहीं हो! कौन करता है ये ट्वीट? ऑथेंटिक कुछ भी नहीं है क्या?’ कान्हा नाम के एक यूजर ने अमिताभ को जवाब दिया, ‘क्या ढूंढा है आपने! इसी मौजूं पर गुलज़ार साहब ने भी लिखा है- हरी हरी डाल पर हरे हरे तोते, आपको नमस्ते टाटा बाय ओके।’