सदी के महानायक अमिताभ बच्चन 70 के दशक में खाली हाथ बंबई (अब मुंबई) आए थे, तब उनके पास कुछ नहीं था। सालों संघर्ष के बाद उन्हें पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। कभी जिस ‘बंबई नगरिया’ में अमिताभ एक अदद फिल्म के लिए दर-दर भटकते थे, आज उसी शहर में उनके 5 आलीशान बंगले हैं। अमिताभ का परिवार मूल रूप से यूपी के प्रतापगढ़ के बाबू पट्टी गांव के रहने वाले हैं, लेकिन बिग बी का अब वहां जाना नहीं होता।
अमिताभ के पिता और मशहूर लेखक हरिवंशराय बच्चन का जन्म बाबू पट्टी वाले घर में ही हुआ था। हालांकि बाद में वे इलाहाबाद चले आए और उनका ज्यादा वक्त यहीं बीता। इलाहाबाद से दिल्ली और दिल्ली से मुंबई के सफर में बाबू पट्टी पीछे छूट गया। गांव में हरिवंश राय बच्चन के नाम पर अब भी एक पुस्तकालय है, लेकिन बच्चन परिवार का पुश्तैनी घर अब खंडहर में तब्दील हो गया है।
गांव के लोग बताते हैं कि एक बार जब जया बच्चन आई थीं तब गांव की महिलाओं ने उनका बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया था। पलकों पर बैठा लिया था। उस वक्त अमर सिंह भी उनके साथ गांव आए थे। लेकिन अब लंबे समय से बच्चन परिवार ने गांव की सुध नहीं ली। ‘बीबीएम वर्ल्ड’ से बातचीत में गांव वालों ने कहा था कि वे अमिताभ बच्चन से थोड़े खफा हैं, क्योंकि लंबे समय से उन्होंने अपने गांव का हाल समाचार नहीं पूछा।
एक्सीडेंट के बाद गांव वालों ने रखी थी पूजा: फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान जब अमिताभ को चोट लगी थी और उनकी हालत नाजुक थी तब उनके पैतृक गांव में भी सलामती के लिए पूजा-अर्चना की गई थी और सलामती के लिए दुआएं मांगी गई थीं। ग्रामीणों ने बताया कि जब अमिताभ बच्चन का फिल्म कुली के दौरान एक्सिडेंट हो गया था तब गांव के लोगों ने ने उनके लिए दिन रात कुल देवी के मंदिर में प्रार्थना की थी। कुल देवी का मंदिर पुस्तकालय के बगल में ही है।
अमिताभ नहीं आए तो अभिषेक क्या आएंगे? बाबू पट्टी के लोग अमिताभ बच्चन और उनके परिवार से खफा हैं। वे कहते हैं अपनी मिट्टी को नहीं भूलना चाहिए। शिकायती लहजे में कहतें हैं कि अमिताभ बच्चन नहीं आए तो अभिषेक बच्चन यहां क्या आएंगे!