पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं और इसको लेकर सियासत का दौर भी जारी है। आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा बन गया है। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना ने आजतक पर अपने कार्यक्रम में तेल की कीमतों का जिक्र करते हुए तंज कसा और कहा कि काश हर दिन चुनाव होते तो तेल की कीमतें कम हो जातीं।

रोहित सरदाना ने इस कार्यक्रम का वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर भी शेयर किया है औऱ लिखा है- ‘चुनाव आए तो पेट्रोल/डीज़ल की क़ीमतों पर रोक लग गई। जब तेल के दाम कंपनियां तय करती हैं, तो चुनावी मौसम के साथ तेल-कंपनियों का ये कैसा गठबंधन है?

अपने वीडियो में सरदाना कहते नजर आते हैं- ‘काश हर दिन चुनाव होता, क्योंकि चुनाव आते ही तेल की महंगाई पर ब्रेक लग जाती है। क्योंकि चुनाव आते ही कच्चा तेल महंगा होने के बावजूद पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ नहीं रहे। चुनाव आते ही संसद से लेकर सड़क तक राजनीतिक दल जीएसटी के दायरे में पेट्रोल-डीजल को लाने की चर्चा करने लगे। तो अगर चुनाव आते रहेंगे तब ही महंगाई दूर जाएगी? और जब चुनाव दूर होगा तब महंगाई पास आएगी?’

रोहित सरदाना के इस वीडियो पर तमाम यूजर्स भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और तेल की कीमतों को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। मनीश रावत नाम के एक यूजर ने लिखा- ‘भाई जी आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ऑयल पर टैक्स, सेंटर और स्टेट गवर्नमेंट लगाती हैं। वो टैक्स को मैनेज कर रेट बैलेंस कर सकती हैं।’

एक यूजर ने लिखा- ‘लोग समझ गए हैं रोहित जी, चुनाव में तो कीमतों पर सरकार का नियंत्रण हो जाता है और कीमतें बढ़नी रुक जाती हैं। जब चुनाव न हो तो क्रूड ऑयल के भाव दिखा कर कीमतें बढ़ा देते हैं, अगले राष्ट्रीय चुनावों में ये गेम चेंजर साबित हो सकता है, जिन लोगों ने पिछले दो चुनाव जिताए थे वे अब बहुत दुखी हैं।’

सुदीप मौर्या नाम के यूजर ने लिखा- ‘सही कहा, ये कैसे हो रहा है? फाइनेंस मिनिस्टर सीतारमण ने बताया था कि गवर्नमेंट के पास तेल के दामों को कंट्रोल करने की शक्ति नहीं है।’ एक यूजर ने रोहित सरदाना को जवाब देते हुए लिखा- इस सवाल का जवाब केवल भजन मण्डली ही दे सकती है।’

हिमांशू तिवारी कहते हैं- ‘पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ने दो। आप तो आय में वृद्धि की बात करें। जब आय में वृद्धि होगी, तभी कुछ जीवन आसान है वरना तो मुश्किलें तो बढ़ेंगी, कम तो होना नहीं है। बता दें, कि 27 फरवरी के बाद से ही तेल के बढ़ते दामों पर अचानक ब्रेक लग गई।