लोकसभा चुनाव में उत्तर पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र के कामगार मतदाताओं की अहम भूमिका होगी। दूसरे राज्यों से रोजगार के सिलसिले में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार समेत पड़ोसी राज्यों से आकर बसें लाखों कामगार मौजूदा चुनाव में मतदाता हैं। इस संसदीय क्षेत्र में बवाना, नरेला, मुंडका, मंगोलपुरी, बादली समेत 10 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें ज्यादातर औद्योगिक क्षेत्र हैं। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी इस वर्ग के मतदाताओं को साधने के लिए सियासी दौड़ में है।

उत्तर पश्चिमी दिल्ली में भाजपा के योगेंद्र चंदोलिया का मुकाबला कांग्रेस के उदित राज से मुकाबला है। भाजपा प्रत्याशी पूर्व मेयर होने के साथ पार्टी में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में पहली बार अपना भाग्य आजमा रहे योगेंद्र चंदोलिया इस चुनाव में पूर्व सांसद उदित राज को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

दिल्ली की सात में से एकमात्र आरक्षित सीट होने की वजह से दोनों प्रत्याशियों के समर्थक हैं। विकास के मुद्दे के साथ साथ दोनों प्रत्याशियों की निगाहें आरक्षित सीट के मतदाताओं पर हैं। इस क्षेत्र में दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग, मुसलिम वर्ग सहित हरियाणा के सीमावर्ती क्षेत्र होने की वजह से जाट मतदाताओं की संख्या भी काफी अधिक है। मेट्रो नेटवर्क और बेहतर कनेक्टिविटी, पानी, शिक्षा, रोजगार समेत स्थानीय मुद्दों के जरिए मतदाताओं को साधने की राजनीतिक दलों की कोशिश है।

जातीय समीकरण से ज्यादा यहां की बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने का वादा कामगारों के लिए भी अहम है। चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों के वादे को देख मतदाता भी मतदान से पहले अपने फायदे-नुकसान का आकलन कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को दिल्ली में मतदान होना है।

भाजपा को दो बार इस सीट पर मिली है जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हंस राज हंस ने 8,48,663 मत हासिल कर इस सीट पर भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में आप दूसरे स्थान पर जबकि कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। 2009 में कांग्रेस से कृष्णा तीरथ ने जीत दर्ज की तो 2014 के चुनाव में भाजपा के उदित राज ने आम आदमी पार्टी की राखी बिरला को शिकस्त देकर सीट से निर्वाचित हुए। 2008 के बाद अस्तित्व में आए इस सीट पर अब तक दो बार भाजपा को जीत मिली, जबकि एक बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की।