मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। जहां पीएम नरेंद्र मोदी खुद प्रदेश के कई दौरे कर चुके हैं वहीं अब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते और चार अन्य सांसदों को भी MP के मैदान में उतारने का फैसला लिया गया है। भाजपा के इस फैसले से अलग-अलग तरह की सियासी बातें सामने आने लगी हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा चुनाव के बाद प्रदेश नेतृत्व को बदलने की कोशिश में हैं।
क्या शिवराज सिंह चौहान को साइडलाइन किया जा रहा है?
भाजपा के इस फैसले से कयास यह लगाए जा रहे हैं कि अब मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी खाली है और शिवराज सिंह चौहान को सिर्फ एक वरिष्ठ नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाएगा। भाजपा की यह चुनावी रणनीति नई नहीं है, इससे पहले 2003 के चुनावों में शिवराज सिंह चौहान खुद चार बार लोकसभा सांसद थे, जब उन्हें राघौगढ़ से कांग्रेस के तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था। भाजपा इस चुनाव को जीत गई थी लेकिन चौहान हार गए थे।
केंद्रियों मंत्रियों को मैदान में उतारने का फैसला किस और इशारा करता है इस सवाल पर पार्टी के एक नेता कहते हैं,”यह पार्टी का मौन संकेत है कि मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा यह चुनाव के बाद ही तय होगा।”
बड़े नेताओं को मैदान में उतार कर बड़ा संकेत
मध्यप्रदेश चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच लड़ाई बहुत दिलचस्प होने जा रही है। भाजपा हर संभव कोशिश में है कि इस चुनाव को पूरी तरह लड़ा जाए। नाम ना छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के बारे में कुछ पहले से अनुमान लगाई गई चीजों में से एक यह है कि हर चुनाव उत्सुकता से लड़ा जाएगा, चाहे वह जीतने वाला या हारने वाला चुनाव लगे, किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
अब बड़े दिग्गजों के मैदान में उतरने से यह संकेत जाएगा कि भाजपा मध्य प्रदेश जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। उनके भी अपनी सीटें जीतने की संभावना है और इससे उन मतदाताओं में एक सकारात्मक संदेश जाएगा जो अब तक शिवराज सिंह चौहान से थक चुके होंगे।
राजनीतिक वैज्ञानिक सज्जन कुमार ने कहा, ”2014 के बाद दिल्ली और बिहार की तरह शुरुआती विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पीएम के चेहरे पर जीतने की कोशिश की और हार गई, धीरे-धीरे पार्टी को यह समझ आ गया है कि जब मोदी का चेहरा लोकसभा कुनाव में काम करता है लेकिन विधानसभा चुनाव में समीकरण कुछ अलग हो सकते हैं।