राजस्थान में 7 दिसंबर को वोटिंग है ऐसे में हर पार्टी और प्रत्याशी जीत के लिए हर दांव खेलने को तैयार है। देखा जाए तो प्रदेश में हमेशा भाजपा- कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही है। ऐसे में किसी तीसरे पक्ष की मजबूत मौजूदगी नदारद रही है। लेकिन 2008 के राजनीतिक इतिहास में बहुजन समाज पार्टी का किरदार बहुत अहम रहा है।

क्या है 2008 का इतिहास
2008 में बहुजन समाज पार्टी ने कमाल का प्रदर्शन किया था। सूबे के 7.66 फीसदी वोटों पर पार्टी ने कब्ज जमाया था और 200 सीटों वाली विधानसभा में अपने 6 विधायक भेजे। नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, बाड़ी से गिर्राज सिंह, मलिंगा और उदयपुरवाटी से राजेन्द्र गुढ़ा, सपोटरा से रमेशा मीणा, गंगापुर से रामकेश मीणा और दौसा से मुरारीलाल मीणा ने जीत हासिल की थी।

अशोक गहलोत को मिला था सपोर्ट
दरअसल 2008 के चुनाव में कांग्रेस को 96 और भाजपा को 78 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 100 सीट का आंकड़ा पार करना था। बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें गहलोत सरकार में मंत्री भी बनाया गया। लेकिन शायद इसका ही असर 2013 में देखने को मिला। 2013 में बसपा के वोटों में 3.44 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली थी।

2018 का बसपा गणित
इस बार बहुजन समाज पार्टी ने 190 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। सादुलपुर और खेतड़ी में मौजूद विधायकों को टिकट दिया गया है। वहीं अलवर की तिजारा सीट से भाजपा के बागी संदीप और आमेर सीट से नेशनल पीपल्स पार्टी से बसपा में शामिल हुए नवीन पिलानिया को टिकट मिला है। मायावती भी पूरे दमखम से प्रचार प्रसार में जुटी हुई हैं।

 

2294 प्रत्याशियों की किस्मत का होगा फैसला
गौरतलब है कि 200 सीटों के लिए राजस्थान में कुल 2294 प्रत्याशी मैदान में हैं। जिसमें से भाजपा ने 200 प्रत्याशी, कांग्रेस ने 195, बसपा ने 190, आम आदमी पार्टी ने 142, भावापा ने 63, रालोपा ने 58 और अरापा ने 61 कैंडिडेट मैदान में उतारे हैं। बता दें प्रदेश में 7 दिसंबर को वोटिंग होगी जबकि 11 दिसंबर को नतीजे सबके सामने होंगे।