पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग की चर्चा जोरों पर चल रही है। सबसे बड़ा सवाल ये चल रहा है कि टीएमसी, कांग्रेस को कितनी सीटें देने को तैयार रह सकती है। अब इस बीच बंगाल कांग्रेस ने टीएमसी से सात सीटों की मांग कर दी है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान के साथ जो मीटिंग हुई है, उसमें बंगाल इकाई ने साफ कर दिया है कि वे सात सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं।

कांग्रेस क्यों मांगे ज्यादा सीटें?

कांग्रेस का तर्क ये है कि पिछली बार दो सीटों पर उनकी पार्टी को जीत मिली थी। वहीं 6 सीटें ऐसी रही थीं जहां बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, यानी कि जो सीटें टीएमसी के खाते में गईं, कांग्रेस उनमें से एक भी नहीं मांग रही। लेकिन बाकी सीटों पर वो ममता बनर्जी से समझौता चाहती है। जानकारी के लिए बता दें कि मुर्शिदाबाद और मालदा (दक्षिण) दो ऐसी सीटें हैं जो कांग्रेस ने जीती थीं, वहीं बहरमपुर,जंगीपुर, मालदा उत्तर, रायगंज और दार्जिलिंग ऐसी सीटें रहीं जहां पर बीजेपी ने टीएमसी को हरा दिया था।

टीएमसी का क्या तर्क?

इस समय कांग्रेस ये लॉजिक देने का काम भी कर रही है कि जो पिछली बार जिस सीट पर जीता था, उसे ही इस बार भी उस सीट पर चुनाव लड़ने दिया जाएगा। इसी वजह से बताया जा रहा है कि टीएमसी, बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देने को तैयार हैं, वहीं खुद टीएमसी 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। बड़ी बात ये है कि टीएमसी, लेफ्ट को एक भी सीट देने को तैयार नहीं है। वैसे कांग्रेस के सात सीटों के प्रस्ताव को टीएमसी सिरे से खारिज कर चुकी है। उसका साफ मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, ऐसे में उसे एक भी सीट लोकसभा में नहीं दी जानी चाहिए।

बंगाल में क्या चुनावी स्थिति?

बंगाल के पिछले लोकसभा नतीजों की बात करें तो बीजेपी के खाते में 18 सीटें गई थीं, वहीं टीएमसी 22 सीटों पर सिमट गई थी। वो बीजेपी का बंगाल में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। बीजेपी इस बार फिर बंगाल के जरिए ही अपनी संभावित नुकसान वाली सीटों की भरपाई करना चाहती है। उसे उम्मीद है कि फिर बंगाल में 2019 वाला प्रदर्शन दोहराया जाएगा।