Lok Sabha Elections: उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए घोषी उपचुनाव ने बीजेपी के कान खड़े कर दिए हैं। जिसके बाद बीजेपी अब नई रणनीति पर काम करने में जुट गई है। उपचुनावों में दलित वोटों के समाजवादी पार्टी में चले जाने और 2017 की तुलना में 2022 में जीती गई अनुसूचित जाति-आरक्षित सीटों की संख्या में गिरावट से भारतीय जनता पार्टी चिंतित है। अब ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ‘नमो मित्रों’ की मदद ले रही है। जिनके जरिए बीजेपी उत्तर प्रदेश में इन समुदाय बीच अपनी पकड़ को मजबूत बना सके।

साथ ही, पार्टी का एससी मोर्चा राज्य भर में 98 स्थानों पर “भीम सम्मेलन” आयोजित करने की योजना बना रहा है, जहां विभिन्न अनुसूचित जातियों के नेताओं और लोगों को भाग लेने के लिए बुलाया जाएगा। विभिन्न जातियों के नए कार्यकर्ताओं को ‘नमो मित्र’ के रूप में नामांकित करना शुरू करने के बाद, मोर्चा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 100 ऐसे स्वयंसेवकों को शामिल कर रहा है।

पार्टी नए युवा कार्यकर्ताओं का एक डेटाबेस भी तैयार कर रही है जो खुद को ‘नमो मित्र’ के रूप में नामांकित कर रहे हैं और स्नातकोत्तर तक शिक्षित हैं। ‘नमो मित्र’ पार्टी को “बस्ती संपर्क अभियान” के तहत झुग्गी-झोपड़ियों तक पहुंचने में मदद करेंगे, जिसे एससी मोर्चा ने 20 सितंबर से राज्य भर में शुरू करने का फैसला किया है।

दिसंबर में समाप्त होने वाले चार महीने के अभियान के दौरान, ‘नमो मित्र’ पार्टी नेताओं को दलित बस्तियों में ले जाएंगे और उन्हें स्थानीय निवासियों से मिलवाएंगे। नेता समुदाय के सशक्तिकरण के लिए नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए कार्यों के बारे में परिवारों के साथ बातचीत करेंगे।

‘हर विधानसभा में 35 से 50 हजार है दलित वोटों की संख्या’

ऐसा समझा जाता है कि वे दलित परिवारों के साथ डिनर भी करेंगे। पार्टी राज्य भर में लगभग 50,000 ऐसी कॉलोनियों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है। भाजपा के एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राम चंद्र कनौजिया ने कहा, ‘हम लोगों को सरकार की कल्याण और सशक्तिकरण पहल के बारे में बताएंगे। हम उनसे सरकार से उनकी अपेक्षाओं के बारे में भी पूछेंगे।’ उन्होंने दावा किया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दलित वोटों की संख्या 35,000 से 50,000 तक है।

भीम सम्मेलन को दलित नेता करेंगे संबोधित

कनौजिया ने कहा, ‘भीम सम्मेलन को पार्टी के दलित नेता, विधायक और सांसद संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सम्मेलनों में समुदाय के नेता लोगों को बताएंगे कि कैसे भाजपा ने बीआर अंबेडकर और समुदाय के अन्य महान व्यक्तित्वों जैसे संत रविदास, वामिकी के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान किया है। पार्टी समुदाय के मेधावी छात्रों और खिलाड़ियों को भी सम्मानित करेगी।’ उन्होंने कहा कि कोई भी अन्य पार्टी इस तरह के आयोजन नहीं कर रही है। चाहे फिर वो समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी या फिर कांग्रेस ही क्यों न हो। इन सभी विपक्षी पार्टियों ने दलितों के बीच केवल भ्रम पैदा किया है।

विधानसभा चुनाव में पार्टी और उसके सहयोगियों ने 63 सीटों पर जीत हासिल की

पिछले चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो यह पहल काफी महत्वपूर्ण हैं। विधानसभा चुनावों में पार्टी और उसके सहयोगियों ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 84 विधानसभा सीटों में से 63 पर जीत हासिल की। यह 2017 में उसके (और सहयोगियों के) प्रदर्शन से 11 सीटें कम थी। सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2022 में 20 सीटें जीतीं, जो 2017 से 13 सीटें अधिक थीं। कांग्रेस 2017 में किसी भी आरक्षित सीट से नहीं जीत पाई।