यूपी निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव से पहले का एक बड़ा सियासी मुकाबला माना जा रहा है। इस सेमीफाइनल मुकाबले में जो पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी, लोकसभा चुनाव को लेकर उसकी उम्मीदें भी उतनी ज्यादा ही परवान चढ़ेंगी। ऐसे में बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस ने इसी आधार पर अपने सियासी समीकरण को साधना शुरू कर दिया है। इसमें एक तरफ बीजेपी फिर सबसे ज्यादा सवर्ण समाज पर भरोसा जता रही है, तो सपा गैर-यादव वोटरों के बीच भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहती है। मायावती की बसपा एक बार फिर मुस्लिमों के बीच अपनी सोशल इंजीनियरिंग को धार देने की कोशिश में लगी हैं। अब ये सबकुछ हो रहा है और इसका अंदाजा पार्टियों द्वारा जमीन पर उतारे गए उम्मीदवारों के जरिए समझा जा सकता है।
असल में यूपी निकाय चुनाव के पहले चरण की वोटिंग चार मई को होने जा रही है। प्रयागराज समेत 9 मंडलों के 37 जिलों में नगरीय निकायों की वोटिंग होने जा रही है। अब यहां से कुल 10 मेयर के पद निकल रहे हैं और उन पर सभी पार्टियों की नजर है। बीजेपी ने बनिया और कायस्थ समुदाय पर फोकस किया है, तो वहीं अखिलेश यादव इस बार गैर यादव ओबीसी वोटर पर अपनी नजर जमाए हुए हैं। वे मुस्लिम-यादव समीकरण से आगे बढ़ पार्टी का विस्तार करने की कोशिश में हैं। बसपा की बात करें तो वो मुस्लिमों के बीच अपनी पैठ जमाने की कवायद में लगी हुई है। यहां ये समझना जरूरी है कि पहले चरण से जो मेयर की 10 सीटें निकल रही हैं, वहां पर पांच आरक्षित हैं और पांच गैर आरक्षित। गैर आरक्षित सीटों में गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी, मुरादाबाद और मथुरा शामिल है। वहीं जो आरक्षित सीटे हैं उनमें फिरोजाबाद को पिछड़ा वर्ग महिला के लिए रिजर्व रखा गया है, झांसी को SC समुदाय के लिए, आगरा को SC महिला के लिए, लखनऊ महिला के लिए। चुनाव में सहारनपुर को ओबीसी के लिए रिजर्व रखा गया है। अब इन सभी सीटों के लिए पार्टियों द्वारा उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं, आइए उनके सियासी मायने समझने की कोशिश करते हैं-
गोरखपुर
गोरखपुर की सियासत को समझते हुए यहां पर सभी पार्टियों ने सटीक समीकरण साधने की कोशिश की है। समाजवादी पार्टी ने यहां से काजल निशाद को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो निशाद समुदाय से आती हैं। बीजेपी ने यहां पर कायस्थ उम्मीवादर मंगलेश श्रीवास्तव को उतारा है। वहीं बसपा ने अग्रवाल-बनिया समाज को लुभाने के लिए नवल किशोर को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। कांग्रेस ने भी बीजेपी की तरह कायस्थ प्रत्याशी नवीन सिन्हा पर भरोसा जताया है।
प्रयागराज
अतीक अहमद की हत्या के बाद से प्रयागराज काफी संवेदनशील बना हुआ है, राजनीति के लिहाज से भी यहां पर कई नाटकीय मोड़ देखने को मिल चुके हैं। अब उस बीच निकाय चुनाव में प्रयागराज से सपा ने कायस्थ नेता अजय श्रीवास्ताव को अपना उम्मीवादर बनाया है, वहीं बीजेपी ने बनिया समुदाय के उमेश चंद्र गणेश को मौका दिया है। बसपा ने यहां पर मुस्लिम कार्ड चलते हुए सईद अहम को प्रत्याशी घोषित किया है और कांग्रेस ने ब्राह्मण दांव चलते हुए प्रभा शंकर मिक्षा को अवसर दिया है।
वाराणसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बात करें तो यहां से बीजेपी ने ब्राह्मण नेता अशोक तिवारी को चुनावी मैदान में उतारा है, सपा ने भूमिहार जाति के ओपी सिंह को मौका दिया है। बसपा की बात करें तो उसने अपने कोर वोटबैक दलित को ध्यान में रखते हुए सुभाष चंद्र मांझी को यहां से टिकट दिया है। कांग्रेस ने कायस्थ जाति के अनिल श्रीवास्तव पर भरोसा जताया है।
मुरादाबाद
पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद जहां पर मुस्लिमों की अच्छी संख्या मानी जाती है, यहां से बसपा, सपा और कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीवारों को ही टिकट दिया है। सपा ने सईद रइसुद्दीन को मौका दिया है, बसपा ने मोहम्मद यामीन को उतारा है और कांग्रेस ने रिजवान कुरेशी को प्रत्याशी बनाया है। हमेशा की तरह बीजेपी ने यहां भी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारा है।
मथुरा
मथुरा-वृंदावन नगर निगम से भी बसपा ने एक मुस्लिम प्रत्याशी को मौका दिया है। उसकी तरफ से मोहत्तसिम अहमद को प्रत्याशी बनाया गया है, बीजेपी की बात करें तो उसने बनिया नेता विनोद अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं सपा ने ब्राह्मण चेहरे पर भरोसा जताते हुए पंडित तुलसी राम शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की बात करें तो उसने राजपूत नेता राजकुमार रावत को प्रत्याशी घोषित किया है।
सहारनपुर और फिरोजाबाद
सहारनपुर और फिरोजाबाद दोनों ही आरक्षित सीटे हैं।एक तरफ सहारनपुर ओबीसी के लिए रिजर्व है तो फिरोजाबाद ओबीसी महिला के लिए रिजर्व रखी गई है। ऐसे में सपा ने सहारनपुर से एक गैर-यादव ओबीसी पर दांव चलते हुए नूर हसन मलिक को चुनावी मैदान में उतार दिया है, वहीं फिरोजाबाद से उसने मसरूर फातिमा को मौका दिया है। बसपा की बात करें तो उसने सहारनपुर से खादिजा मसूद को और फिरोजाबाद से रुकसाना बेगम टिकट दिया है। बीजेपी ने सहारनपुर से अजय कुमार और फिरोजाबाद से कामिनी राठोर को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने तो फिरोजाबाद से कोई उम्मीदवार ही घोषित नहीं किया है, वहीं सहारनपुर से उसने कुर्मी नेता प्रदीप वर्मा को अवसर दिया है।
झांसी और आगरा
निकाय चुनाव में झांसी एससी रिजर्व सीट है तो वहीं आगरा एससी महिला रिजर्व सीट है। सपा ने झांसी से इस बार सतीश जटारिया को मौका दिया है, वहीं आगरा से जूही जाटव चुनाव लड़ने जा रही हैं। दोनों ही नेता जाटव समाज की एक उपजाति से आते हैं जिससे बसपा प्रमुख मायावती भी हैं। बीजेपी ने इस बार झांसी से बिहाली लाल आर्य को उतारा है तो वहीं आगरा से हेमलता दिवाकर को मौका दिया गया है। बसपा ने झांसी से भगवान दास फुले पर भरोसा जताया है, आगरा से लता को उतारा गया है।कांग्रेस की बात करें तो उसने अरविंद कुमार को झांसी से उम्मीदवार बनाया है, वहीं आगरा से लता कुमारी प्रत्याशी हैं।
लखनऊ
महिला के लिए रिजर्व लखनऊ से इस बार सपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी वंदना मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है, बीजेपी ने भी इसी समुदाय पर दांव चलते हुए सुषमा खर्कवाल को मौका दिया है। बसपा ने शाहीन बानो को उम्मीदवार घोषित किया है और कांग्रेस ने बनिया समाज की संगीता जैसवाल को प्रत्याशी बना दिया है। वैसे सपा ने पहले किसी भी सीट पर यादव उम्मीदवार नहीं उतारा था, लेकिन नामांकन से ठीक पहले उसने गाजियाबाद से नीलम गर्ग की जगह पूनम यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है। यूपी में दो चरणों में निकाय चुनाव होंगे। पहले चरण में 4 मई और दूसरे चरण में 11 मई को वोटिंग होगी। परिणाम 13 मई को आएंगे।