उत्तर प्रदेश में पहले चरण के चुनाव के लिए सिर्फ एक सप्ताह ही बचा है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन में पहली बार दरार दिखाई दी है। गठबंधन में शामिल अपना दल कमेरावादी के हिस्से वाली सीट पर भी सपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।
अपना दल कमेरावादी को गठबंधन में 18 सीटें दी गई थी। 29 जनवरी को सात सीटों की घोषणा भी कर दी गई थी। लेकिन गठबंधन में परेशानी तब शुरू हुई जब बुधवार को सपा ने अपना दल (k) के कोटे वाली सीट इलाहाबाद पश्चिम से अमरनाथ मौर्य को उम्मीदवार घोषित कर दिया। उसी दिन सपा ने अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल को कौशाम्बी जिले के सिराथू से उम्मीदवार घोषित किया। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वे किस चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगी। उनकी उम्मीदवारी ने सपा की कौशांबी इकाई में अशांति पैदा कर दी।
गुरुवार को इलाहाबाद पश्चिम से सपा के द्वारा उम्मीदवार उतारने से नाराज अपना दल (k) ने सपा द्वारा दी गई सीटों को वापस करने का फैसला किया। अपना दल ने कहा है कि वे रोहनिया और पिंडरा के साथ ही मरियाहू, मरिहान, घोरावल, प्रतापगढ़ सद और इलाहाबाद पश्चिम और सिराथू को भी छोड़ देंगे। 27 फरवरी को पांचवें चरण में सिराथू, प्रतापगढ़ सदर और इलाहाबाद पश्चिम में मतदान होना है, जबकि बाकी सीटों पर सातवें चरण में 7 मार्च को मतदान होना है।
इस मामले पर अपना दल कमेरावादी के राष्ट्रीय महासचिव पंकज निरंजन ने कहा कि हम नहीं चाहते कि गठबंधन में कोई विवाद और भ्रम हो। इसलिए हमने उन सभी सीटों को वापस कर दिया है जो सपा ने अपना दल को लड़ने के लिए दी थी। पहले सपा उन्हें सीट दें जिन्हें जरूरत है। हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी सपा के साथ गठबंधन जारी रखेगी।
निरंजन ने कहा कि अगर अपना दल एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ता है फिर भी हम पिछड़े वर्गों के लिए अखिलेश यादव का प्रचार करेंगे। निरंजन ने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के फैसले से सपा नेता उदयवीर सिंह को अवगत करा दिया है, जो दोनों दलों के बीच गठबंधन के लिए अधिकृत हैं। निरंजन ने कहा कि हम सपा की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।
हालांकि उदयवीर सिंह इस मसले पर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। वहीं सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन गठबंधन निश्चित रूप से जारी है। हालांकि सपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी अध्यक्ष को इस तरह के भ्रम को दूर करना चाहिए। नहीं तो यह उसी तरह हो जाएगा जब 2017 में सपा और कांग्रेस ने गठबंधन में होने के बावजूद कुछ जिलों की सीट पर अपने अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए थे।
सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के एक नेता ने कहा कि चूंकि अखिलेश यादव पश्चिमी यूपी में पहले दो चरणों के चुनाव के लिए रालोद नेताओं के साथ चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, इसलिए उन्होंने अन्य नेताओं को अपने सहयोगियों के साथ समन्वय करने के लिए नियुक्त किया है। लेकिन अंतिम फैसला अखिलेश यादव को ही लेना है। नेताओं के बीच संवाद की कमी के कारण ही सीटों की घोषणा में देरी हो रही है। उदाहरण के लिए सुभासपा ने अब तक केवल पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। जबकि भाजपा छठे और सातवें चरण के अधिकांश सीटों पर भी उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है।
अपना दल (कमेरावादी) राज्य भर में कुर्मी मतदाताओं, पूर्वी और मध्य यूपी में मुसलमानों के बीच अपने प्रभाव का दावा करता है। अपना दल खासकर वाराणसी, प्रयागराज और मिर्जापुर इलाकों की सीटों पर अपनी मजबूती का दावा करता है। अपना दल कमेरावादी दिवंगत नेता सोनेलाल पटेल के अपना दल का ही एक गुट है। सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष हैं जबकि उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल केंद्र सरकार में मंत्री हैं और अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष हैं।