उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में समजावादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच वार-पलटवार लगातार चल रहा है। 2017 चुनाव के बाद जब से सीएम योगी ने यूपी की कमान संभाली है तभी से अखिलेश यादव के साथ उनकी कड़ी प्रतिद्वंद्विता रही है, लेकिन एक शख्स ऐसा भी है, जो इन दोनों का विरोधी है। इनका नाम है- विजय सिंह, जो कि पूर्व शिक्षक हैं और गोरखपुर सदर सीट पर सीएम योगी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने की कसम खा चुके हैं। विजय सिंह ने मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव प्रचार करने का भी ऐलान किया है। मतलब विजय सिंह अब अखिलेश यादव और सीएम योगी दोनों के विरोधी बन चुके हैं।
विजय सिंह एंटी करप्शन एक्टिविस्ट हैं और मुजफ्फरनगर में 26 साल से धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा करके बैठे भू-माफिया के खिलाफ एक्शन। विजय सिंह ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, “हां, मैंने विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। मैं गोरखपुर सदर सीट से 9 फरवरी को नामांकन दाखिल करूंगा।” गोरखपुर सदर सीट पर नामांकन की अंतिम तारीख 11 फरवरी है और यहां 3 मार्च को मतदान होना है।
विजय सिंह ने कहा, “मैं चुनाव लड़ने जा रहा हूं, क्योंकि मैं जनता को बताना चाहता हूं कि बताना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश की सत्ता बीते 26 साल में जिस भी पार्टी ने संभाली, उसने भ्रष्टाचार और भू-माफिया के खिलाफ कुछ नहीं किया।” विजय सिंह ने यह बात सीएम योगी के गोरखपुर सदर सीट से नामांकन के कुछ ही देर बाद कही। उन्होंने कहा, “मैं सबसे सस्ता चुनाव लड़ूंगा, पांच राज्यों में हो रहे इलेक्शन में कोई भी इतना सस्ता चुनाव नहीं लड़ रहा है। मैं पर्चे बांटरकर जनता तक अपनी बात पहुंचाउंगा।”
विजय सिंह ने चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स, पॉलिटिकल साइंस और ज्योग्राफी में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने B.Ed कम्प्लीट की। उन्होंने बताया, “90 के दशक की बात है, जब स्कूल पढ़ाने के लिए जाते वक्त मैंने एक बच्चे को रोते देखा, वह अपनी मां से रोटी मांग रहा था, उसके पास अपने बच्चे को देने के लिए रोटी नहीं थी। मैं बेहद दुखी हुआ, मैंने देखा कि मेरे गांव में हजारों बीघा ग्राम सभा की जमीन पड़ी थी, लेकिन उस पर ताकतवर राजनेताओं ने अतिक्रमण किया हुआ है।”
विजय सिंह वर्ष 1996 में मुजफ्फरनगर कलेक्ट्रेट के पास ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने जिला अधिकारियों, रेवेन्यू कोर्ट और कई मुख्यमंत्रियों के पास याचिका भी लगाई। पिछले साल नवंबर में जब सीएम योगी कैराना में रैली करने आए तब विजय सिंह उनसे मिलने के लिए बैठ गए थे, लेकिन उन्हें मुलाकात की मंजूरी नहीं दी गई। हालांकि, उनके दस्तावेज जरूर अधिकारियों ने ले लिए। विजय सिंह का दावा है कि दस्तावेज लेने के बाद भी अब तक किसी प्रकार का एक्शन नहीं लिया गया।
विजय सिंह ने कहा कि यह जमीन सरकारी है, गरीब और भूमिहीनों के लिए है, लेकिन भू-माफिया और राजनेताओं की मिलीभगत से गरीब को उसका हक नहीं मिल पा रहा है। अखिलेश यादव के बारे में सवाल पूछे जाने पर विजय सिंह ने कहा, “नहीं, मैं अखिलेश यादव का भी समर्थन नहीं कर सकता हूं। उन्होंने चीफ मिनिस्टर पद पर रहते हुए भू-माफिया के खिलाफ कुछ नहीं किया। मैं उनके खिलाफ भी चुनाव प्रचार करूंगा। मैं करहल जाउंगा और उसी प्रकार प्रचार करूंगा जैसे गोरखपुर में करूंगा। मैं वहां भी पर्चे बांटूंगा। मेरे कुछ दोस्त हैं, जो मेरी मदद करेंगे। मेरी जरूरतें बेहद कम हैं और मैं किसान भी हूं, कुछ बीघा जमीन है मेरे पास।”
विजय सिंह ने अपने परिवार के बारे में कहा, “मेरी दो बेटियां हैं, दोनों की शादी हो चुकी है। एक बेटा हैजो कि पश्चिमी यूपी की शुगर मिल में जूनियर इंजीनियर है। मेरा परिवार मुझे सपोर्ट नहीं करता है। मेरे घरवाले धरने के खिलाफ हैं। इन 26 सालों में क्या बदला इस सवाल पर विजय सिंह ने कहा कि करीब 600-700 बीघा जमीन जिलाधिकारियों की मदद से इन वर्षों में खाली कराई गई है। विजय सिंह ने आगे कहा, “मेरे पास एक सवाल है, आपके लिए भी और सरकार से भी, क्या शांतिपूर्ण विरोध का कोई महत्व नहीं है? क्या सभी प्रदर्शनकारियों को सड़कें जाम करनी चाहिए, भीड़ के साथ सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना चाहिए?”