उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आगरा जिले की फतेहाबाद सीट से रुपाली दीक्षित समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार हैं। रुपाली दीक्षित की राजनीति में आने की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। रुपाली दीक्षित विदेश से पढ़ाई कर चुकी हैं और दुबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी भी कर चुकी हैं। 2016 में वह वापस आगरा आ गयीं और राजनीति में सक्रिय हुईं।
पिता अशोक दीक्षित जेल में: रुपाली दीक्षित के पिता अशोक दीक्षित और परिवार के चार अन्य सदस्य इस वक्त जेल में है। सुमन यादव हत्याकांड में इन सभी लोगों को आजीवन कारावास की सजा हुई है। 75 वर्षीय अशोक दीक्षित को 2015 में कोर्ट ने सरकारी स्कूल टीचर सुमन यादव की साल 2007 में फिरोजाबाद में हुई हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी है।
अशोक दीक्षित के खिलाफ तीन हत्या के मुकदमे समेत 69 गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। वह मूल रूप से फिरोजाबाद के रहने वाले थे और बाद में आगरा आ गए और कोल्ड स्टोरेज का बिजनेस चलाते थे। बता दें कि अशोक दीक्षित को सुमन यादव मर्डर केस मामले में 2007 में गिरफ्तार किया गया और तब से वह जेल में ही है।
रुपाली ने विदेश से की है पढ़ाई: रुपाली ने ग्रेजुएशन पुणे के सिंबोसिस स्कूल से पूरा किया है। साल 2009 में रुपाली ब्रिटेन चली गयीं। कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की। उसके बाद रुपाली ने लीड्स यूनिवर्सिटी, यॉर्कशायर से मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। उसी वक्त रुपाली की नौकरी दुबई की एक मल्टीनेशनल कंपनी में लग जाती है और 2016 में भारत आने से पहले 3 साल तक वह दुबई में काम करती हैं।
भारत लौटने के बाद रुपाली परिवार के कानूनी मामलों को सुलझाने में लग जाती हैं। जब उन्हें कानूनी प्रक्रिया को समझने में उलझन हुई तो आगरा यूनिवर्सिटी से लॉ किया और डिग्री हासिल की। लॉ करने के साथ साथ वह सामाजिक कार्यों और लोकल पॉलिटिक्स में भी हिस्सा लेने लगीं।
नौकरी छोड़ भारत वापस आईं: रुपाली ने बताया कि, मुझे पता था कि हमारे परिवार में कुछ गलत है और मुझे कोई असली कहानी नहीं बता रहा था। वक्त बीतता गया, फिर मुझे 2007 के मामले के बारे में पता चला। जुलाई 2015 में फिरोजाबाद की लोकल अदालत ने मामले में सजा सुनाई और मेरे पिता, चार चाचा समेत 12 लोग को आजीवन कारावास की सजा हुई।
इसके बाद मेरे पापा मुझे फोन करते हैं और मुझे भारत आने को कहते हैं, क्योंकि मेरे परिवार को मेरी जरूरत थी। मैं उस वक्त दुबई की एक कंपनी में बतौर सीनियर एग्जीक्यूटिव के रूप में काम कर रही थी। मैंने तुरंत अपना इस्तीफा दिया और भारत वापस आ गई।
रुपाली ने आगे बताया कि जब मैं भारत आई तब मैंने पाया कि मेरे परिवार के सभी पुरुष सदस्य जेल में है और केस को देखने वाला कोई नहीं बचा है। बिना कानून की जानकारी के मुझे भी मामले में दिक्कत हो रही थी और मेरा परिवार भी उम्मीद खो रहा था। उस समय मैंने आगरा यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया ताकि मैं स्थिति को संभाल सकूं।
बता दें कि रुपाली दीक्षित के पिता अशोक दीक्षित बरेली की सेंट्रल जेल में बंद है ,जबकि उनके 62 वर्षीय छोटे भाई अजय दीक्षित आगरा की सेंट्रल जेल में बंद हैं। 2007 मामले में सजा काट रहे बाकी सभी लोग अभी बेल पर बाहर है।
बीजेपी उम्मीदवार के लिए किया प्रचार: रुपाली जब कोर्ट के मामलों को देख रही थी और वकीलों से लगातार मिल रही थी उसी वक्त वो फतेहाबाद की लोकल पॉलिटिक्स में रुचि रखने लगीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में रूपाली ने बीजेपी उम्मीदवार जितेंद्र वर्मा के लिए प्रचार किया और जितेंद्र वर्मा 34000 वोटों से जीते। जितेंद्र वर्मा ने भी माना कि रुपाली ने सक्रिय रुप से उनके लिए प्रचार किया, जिसका लाभ मिला।
2 वर्ष बाद रुपाली ने बीजेपी की मीटिंग और कार्यक्रमों में हिस्सा लेना बंद कर दिया। उन्होंने संगठन बनाया और नाम रखा ‘कर्म संगठन’। इस संगठन का उद्देश्य गरीब लोगों की मदद करना है।