यूपी चुनाव में हॉट सीट बना करहल विधानसभा क्षेत्र में अब सबको इंतजार है दस मार्च के चुना्व परिणाम का और उस दिन पता चलेगा कि यहां का हॉट नेता कौन साबित होगा। इस बीच चुनाव आयोग को दिए गए चुनाव खर्च के ब्योरे के मुताबिक समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार में अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल से दो लाख रुपये कम खर्च किए।
चुनाव आयोग के पोर्टल के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा उम्मीदवार ने अपने चुनाव प्रचार में 40 लाख रुपये की सीमा के मुकाबले 12.84 लाख रुपये खर्च किए, जबकि अखिलेश यादव ने 10.84 लाख रुपये खर्च किए। जाहिर है कि राज्यमंत्री बघेल ने सपा अध्यक्ष से दो लाख रुपये ज्यादा खर्च किए।
मैनपुरी जिले की भोगांव सीट पर चुनावी खर्च के आंकड़ों में सबसे आगे प्रदेश के मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री हैं। उन्होंने 16,29,615 रुपये खर्च किए हैं, दूसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी ममता राजपूत हैं, जिन्होंने 11,33,555 रुपये खर्च किए। सपा उम्मीदवार आलोक शाक्य ने अपने प्रचार खर्च के रूप में 8,13,554 रुपये दिखाए हैं। सबसे कम खर्च इंटरनेशनल पार्टी की उम्मीदवार अनीता ने किया। उन्होंने केवल 10,000 रुपये लगाए हैं।
विधानसभा और लोकसभा के चुनाव धीरे-धीरे धनबल और बाहुबल के आधार पर लड़े और जीते जाने लगे हैं। इस तरह इन चुनावों में पानी की तरह पैसा बहाया जाने लगा है। मतदाताओं को लुभाने के लिए महंगे उपहार देने की परंपरा धड़ल्ले से चल निकली है। नगदी बांटने का भी खूब चलन है। हर चुनाव में निर्वाचन आयोग बड़े पैमाने पर नगदी, शराब, महंगे उपहार आदि की जब्ती करता है।
दरअसल, निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के लिए तो खर्च सीमा तय कर रखी है, पर पार्टियों के लिए कोई सीमा तय नहीं की है। इसकी आड़ लेकर प्रत्याशी अपना बहुत सारा खर्च पार्टी के हिस्से में दिखा देते हैं। यह भी छिपी बात नहीं कि जो राजनीतिक दल चंदे के मामले में जितना संपन्न है, उसका प्रत्याशी अपने चुनाव में उतना ही अधिक पैसे खर्च करता है।
चुनावों में गैरकानूनी ढंग से जमा किए गए पैसे को जायज बनाने का धंधा भी बड़े पैमाने पर होता है। इसलिए तमाम विशेषज्ञ लंबे समय से मांग करते रहे हैं कि निर्वाचन आयोग को प्रत्याशी और पार्टियों के चुनाव खर्च पर अंकुश लगाने का कोई व्यावहारिक उपाय किया जाना चाहिए। मगर अब तक इस दिशा में कोई व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत किसी ने नहीं समझी है।