बीजेपी ने शुक्रवार को जारी किए 91 उम्मीदवारों की लिस्ट में कई चौंकाने वाले फैसले लिए गए हैं। बीजेपी ने गोरखपुर रीजन में 11 वर्तमान विधायकों का टिकट इस बार काट दिया है। जबकि 15 नए चेहरों को जगह दी गई है। बीजेपी के इस फैसले पर उसके अपने नेता भी हैरानी जता रहे हैं।
गोरखपुर सीएम योगी का गृह जिला है और कहा जा रहा है कि यहां उन्हीं की मर्जी चली है। भाजपा नेताओं का कहना है कि 11 सीटों के लिए उम्मीदवारों को तो बदला ही , साथ ही चार और जगह, जहां पार्टी पिछली बार हार गई थी, वहां भी नए चेहरे को मौका मिला है। सूत्रों की मानें तो पार्टी ने यह फैसला सत्ता विरोधी लहर और नेताओं के उम्र के कारण लिया है।
गोरखपुर क्षेत्र की 62 सीटों में से, जहां छठे और सात चरणों (3 मार्च और 7 मार्च) को मतदान होना है, भाजपा ने अब तक 37 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इनमें से 43 प्रतिशत नए चेहरे हैं। अब तक घोषित 295 नामों में से भाजपा ने 56 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है। सीएम के रूप में, आदित्यनाथ बीजेपी की राज्य चुनाव समिति के सदस्य हैं। साथ ही बीजेपी यूपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा जैसे अन्य नेताओं के साथ उम्मीदवार को अंतिम रूप देने से संबंधित सभी बैठकों में भाग लेते हैं।
गोरखपुर भाजपा के एक नेता ने कहा कि आदित्यनाथ का क्षेत्र में बोलबाला है। उन्होंने कहा- “वह चुनाव के लिए सीएम और पार्टी का चेहरा हैं। 2017 में स्थिति अलग थी जब वह केवल एक सांसद थे और संगठनात्मक मामलों में उनकी सीमित पहुंच थी। तब, मौर्य, जो यूपी भाजपा के प्रमुख थे, और राज्य महासचिव सुनील बंसल गोरखपुर सहित राज्य इकाई की ओर से प्रमुख निर्णय लेते थे”। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि अंतिम फैसला बीजेपी नेतृत्व का ही होता है।
भाजपा के एक नेता ने कहा- “बदलाव करते हुए, पार्टी ने बड़े पैमाने पर यह सुनिश्चित किया है कि नए उम्मीदवार उसी जाति के हों, जिस जाति के पहले के विधायक थे, जिनके टिकट काटे गए हैं।”
जिनका टिकट कटा है उनमें गोरखपुर के खजनी (आरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के भाजपा विधायक संत प्रसाद का नाम भी शामिल है। इनकी जगह संत कबीर नगर जिले की घणगाटा सीट से मौजूदा विधायक श्रीराम चौहान को टिकट दिया गया है। चौहान आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं।
द संडे एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रसाद ने अपनी निराशा स्वीकार की। उन्होंने कहा- “मुझे कोई समस्या नहीं होती अगर कोई स्थानीय नेता मेरी जगह लेता। मैं 1980 से एक वफादार भाजपा कार्यकर्ता हूं और 1996 में भी विधायक के रूप में चुना गया था। मैंने यह सीट लगातार 2012 और 2017 में जीती थी”।
भाजपा के एक समर्थक ने कहा कि प्रसाद के बिना भाजपा के लिए यह सीट आसान नहीं होगी। उसे बसपा की तरफ से मैदान में उतारी गई महिला उम्मीदवार से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। इसी तरह आसपास के जिलों में कुशीनगर जिले के कस्या और हाटा, देवरिया के रामपुर कारखाना जैसी सीटों पर बदलाव से भाजपा कार्यकर्ता हैरान हैं। इलाके में नए चेहरों के बारे बहुत कम जानकारी है और पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें प्रतिद्वंद्वी सपा उम्मीदवारों से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा।
भाजपा के एक कार्यकर्ता ने कहा कि अगर बदलाव की जरूरत थी, तो पार्टी को क्षेत्र में सक्रिय और जनता के बीच जाना जाने वाला एक वफादार नेता चुनना चाहिए था।