यूपी विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। सभी दलों के नेताओं का अपने-अपने स्तर से चुनावों की रणनीति बनाने का काम जारी है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने मंगलवार को एक बड़ा ऐलान करते हुए साफ किया है कि उसकी नेता मायावती और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद सतीश चंद्र मिश्रा चुनाव नहीं लड़ेंगे। खुद सतीश चंद्र मिश्रा ने यह घोषणा की है।
पार्टी के कार्यकर्ताओं के सामने यह एक बड़ी चुनौती वाला हालात है। इस बार के चुनाव में यह चर्चा तेज है कि मुख्य लड़ाई में सत्ताधारी पार्टी भाजपा से मुकाबले के लिए केवल समाजवादी पार्टी सक्रिय तौर पर मैदान में दिख रही है। कांग्रेस भी सक्रिय है, लेकिन उसकी स्थिति उतनी मजबूत नहीं है। ऐसे में माना जा रहा था कि बसपा कुछ चुनौती पेश करेगी, लेकिन पार्टी की ओर से मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान से यह चुनौती कुछ और कमजोर हो गई है।
यूपी में अभी पार्टी के तीन विधायक हैं। अब बसपा के वोटरों के सामने यह एक बड़ी समस्या रहेगी कि वे किसका समर्थन करें। चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं मायावती लगातार बोल रही थीं कि वे इस बार अपनी पार्टी को फिर सत्ता में वापस ले आएंगी, लेकिन अभी तक पार्टी में कोई ऐसा नेता नहीं दिख रहा है, जो पार्टी को पर्याप्त सीटें दिला सके। हालांकि मायावती का दावा है कि वे सभी 403 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगी। लेकिन चुनावी हलकों में यह बात तेजी से चर्चा में है कि वे जिताऊ उम्मीदवार कहां से लाएंगी।
पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्र ने इस बार के चुनाव में पार्टी के अकेले मैदान में उतरने की बात कही है। उन्होंने एक चैनल से बात करते हुए कहा था,
“हमने पहले भी गठबंधन किया था, और इसका अनुभव काफी कटु रहा।”
उन्होंने कहा, “गठबंधन को लेकर हमारे अनुभव ठीक नहीं रहे हैं, ऐसे में हम कोई गठबंधन नहीं कर रहे हैं। हमारा गठबंधन जनता से रहेगा।” वहीं बाकी दलों द्वारा गठबंधन किये जाने पर सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि अन्य राजनीतिक दलों का सहारा वहीं खोजेगा, जो खुद कमजोर होगा और उसी को बैसाखी की जरूरत है।