दिनेश शाक्य

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले की फतेहाबाद विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार रूपाली दीक्षित की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। रूपाली आगरा के बाहुबली रहे अशोक दीक्षित की बेटी हैं। रूपाली ने लंदन से एमबीए की पढ़ाई की, फिर दुबई की बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी की और फतेहाबाद की सियासी जमीन को फतह करने के लिए ताल ठोक रही हैं ।

समाजवादी पार्टी ने इससे पहले फतेहाबाद विधानसभा से राजेश कुमार शर्मा को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन मात्र 36 घंटे बाद ही रूपाली को अधिकारिक उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। ऐसी भी चर्चा है कि रूपाली दीक्षित की बातचीत से संतुष्ट होने के बाद मात्र तीन मिनट मे विधानसभा चुनाव का टिकट दे दिया गया। रूपाली के पिता समेत उनके परिवार के चार लोग हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

परिवार के चार लोगों को मिली इस सजा के बाद ही रूपाली 2016 में फतेहाबाद लौट आईं। इसके बाद उन्होंने सियासत में कदम रखा और अब सपा की टिकट पर फतेहाबाद सीट से ही चुनाव लड़ रही हैं। रूपाली के 75 वर्षीय पिता अशोक दीक्षित को साल 2015 में सरकारी स्कूल के एक टीचर सुमन यादव की हत्या का दोषी ठहराया गया था। साल 2007 में हुआ यह हत्याकांड काफी सुर्खियों में रहा था, जिसमें दीक्षित परिवार के तीन लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई ।

समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप मे चुनाव मैदान मे उतरीं रूपाली पुणे के सिम्बायसिस इंस्टीट्यूट से स्नातक करने के बाद 2009 में इंग्लैंड चली गई थीं। वहां कार्डिफ यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नोतकोत्तर किया और दुबई में उनकी अच्छी नौकरी लग गई। परिवार के लोगों पर 2016 में आए संकट के कारण उन्हें स्वदेश लौटना पड़ा। रूपाली बताती हैं कि मेरे पिता ने मुझसे बात की थी और कहा कि परिवार को मेरी जरूरत है। तब मैं दुबई की एक कंपनी में बतौर वरिष्ठ कार्यकारी काम कर रही थी। मैंने उसके तुरंत बाद इस्तीफा दिया और देश लौट आईं।

वे बताती हैं कि सुमन यादव हत्याकांड से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत हुई थी। रूपाली बताती हैं कि इस केस की कानूनी बारीकियां समझने के लिए उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की। कानून की डिग्री लेने के बाद ही वह सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों में भी शरीक होने लगीं और अब सपा ने फतेहाबाद से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। रूपाली के चुनावी मैदान में आने से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। रूपाली बताती हैं कि फतेहाबाद विधानसभा पर व्याप्त जातिगत आंकड़ों को भी मैं बदल दूंगी और अपनी जीत दर्ज करूंगी।

मूल रूप से फिरोजाबाद की रूपाली के पिता अशोक दीक्षित तीन बार फतेहाबाद विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन तीनों में ही उन्हें हार मिली। इसके बाद अशोक दीक्षित को बहुचर्चित सुमन यादव हत्याकांड में आरोप सिद्ध होने के बाद आजीवन कारावास की सजा मिली। 2015 से वह जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं और इस समय बरेली सेंट्रल जेल में है। वहीं अब उनकी बेटी पिता का सपना पूरा करने चुनावी मैदान में कूद पड़ी है ।

रूपाली दीक्षित के फतेहाबाद से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से ही त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है। दरअसल, इस विधानसभा पर सबसे अधिक संख्या क्षत्रिय समाज की है। दूसरे नंबर पर कुशवाहा, तीसरे पर निषाद व चौथे नंबर पर ब्राह्मण वोटर हैं। ऐसे में भाजपा ने पूर्व विधायक छोटेलाल वर्मा को टिकट दिया है। बसपा से शैलेंद्र जादौन मैदान में उतरे हैं और अब सपा से रूपाली दीक्षित चुनाव लड़ेंगी। वहीं कांग्रेस से होतम सिंह निषाद को उम्मीदवार बनाया गया है। जिन तीन जातियों क्षत्रिय, ब्राह्मण और निषाद का फतेहाबाद विधानसभा पर अच्छी संख्या है, उनके अलग-अलग प्रत्याशी यहां से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि फतेहाबाद विधानसभा पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।

रूपाली के उम्मीदवार बनने के बाद से क्षेत्र में चुनावी चचार्एं शुरू हो गईं। रूपाली दीक्षित के विदेश में पढ़ने और तीन साल तक विदेश में नौकरी करने की बात भी लोगों में चर्चा है। लोगों का सोचना है कि उम्मीदवार पढ़ी लिखी और जानकर है। रूपाली दीक्षित भी 2017 में बीजेपी में रही जबकि अब 2022 के चुनाव में सपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं।